फिजूलखर्ची की 26 जनवरी

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • बतलाना होगा कि क्‍या सरकार उसे उनके घर से उन्‍हें बुलाने के लिए गई थी कि आप आकर परेड के दर्शन कीजिए। झांकियों का लुत्‍फ लीजिए। किसने कहा है कि इतनी कड़ाके की ठंड में न तो खुद चैन से रहें और न सुरक्षा में लगी हुई टीमों को चैन से रहने दें। नेपथ्‍य में गीत बज रहा है ‘परदे में रहने दो, परदा न हटाओ, परदा जो हट गया तो भेद खुल जाएगा’। जबकि इन परदों के पीछे हाथियों के होने की कोई विश्‍वस्‍त सूचना अभी तक नहीं मिली है।
    परेड से हाथियों का संबंध तो पुराना है पर परदों और हाथियों का एक नया संबंध विकसित ... पूरा पढ़ने के लिए क्लिक कीजिए

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