हिंदी चेतना पत्रिका के प्रेम जनमेजय विशेषांक का लोकार्पण : साहित्‍य अकादेमी सभागार

अवसर को चूकिए मत
ऑन इन वन है
बहुत कुछ मिलेगा
पर जो मिलेगा
वह दिखेगा नहीं

दिखा भी तो
मन की आंखों से
अवश्‍य दिखेगा
जचेगा मन को ही
मन ही महत्‍वपूर्ण है

नाश्‍ते को महत्‍वपूर्ण
मन मानिए
पर अपने आने को
निश्चित कीजिए

मन से मन का मिलना होगा
गीत, कविता नहीं
कविता गीत नहीं
पर जो होगा
उसमें संगीत जरूर होगा

कार्यक्रम विवरण
इमेज पर क्लिक करने से मिलेगा।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

आपके आने के लिए धन्यवाद
लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

 
Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz