नितांत गोपनीय परंतु ओपनीय : चिट्ठाकार कहीं के मिल रहे हैं एक जनवरी बारह को - ग्‍यारह से बारह का चिट्ठाकारी सफर

खबर आ रही है
बहुत तेज चैनल है
अब न्‍यू मीडिया
मालूम ही नहीं चलता
खबर कहां से आ जाती है
खबर कहां चली जाती है

मच जाता है हल्‍ला
चाहे दिन हो
साल का पहल्‍ला
चिट्ठाकारी के लिए रुपहला
इसे कहा जाता है
नहले पर दहला

जबकि है इस बार
ग्‍यारह पर बारह
ग्‍यारह भारी रहा
या भारी रहेगा बारह

चाहूं तो खबर के बहाने
अभी सौंप सकता हूं
सबको शुभकामनाएं
उस बारह की
जिसके तिगुना होने पर
बनते हैं छत्‍तीस
और दांत खिलते हैं
हमारे हमेशा बत्‍तीस

पर इतनी बेकरारी नहीं है
एक तो आने दो
एक को आने दो
एक को छाने दो
जब छाएंगे सारे
बरसाएंगे कामनाएं
शुभ मन से सारे

इतवार तो है
पर शुभकामनाओं की
छुट्टी नहीं हुआ करती है
छुट्टी के दिन शुभकामनाएं
आसमान छूती हैं
उन्‍हें जमीन पर ले आओ

जमीन के साथ
सभी जमीन वाले जुड़ जाओ
चाहे इधर आओ
या उधर जाओ
पर आओ जाओ अवश्‍य
सक्रियता अपनी
अपने प्‍यारे चिट्ठों पर
अवश्‍य दिखलाओ।


8 टिप्‍पणियां:

  1. नए साल में कम हो जाओ,
    थोड़ा तो चैन लेने दो....

    नया साल ,खुशहाल रखे !

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  2. हमें सब कुछ पता है जी
    बता गये हैं अन्ना चाचू जी
    ब्लॉग के पुष्प जहाँ खिल रहे हैं
    सब ब्लॉगर कहाँ मिल रहे हैं...

    जवाब देंहटाएं
  3. नव वर्ष की एक ओपनीय बधाई हमारी ओर से भी ।

    जवाब देंहटाएं
  4. इतवार तो है
    पर शुभकामनाओं की
    छुट्टी नहीं हुआ करती है ...

    वाह! वाह! बहुत सुन्दर... सादर बधाई और
    नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं
  5. नव-वर्ष 2012 की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !

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