एक बूढ़े से
क्रांति की उम्मीद में हम
लगातार उसको ताक रहे हैं,
अँधेरी कोठरी में चंद जुगनू लिए
हम झांक रहे हैं .
रोशनी जब चीरकर घुस आएगी ,
इस अँधेरे की तभी,
सचमुच में शामत आएगी !!
और आगे पढ़ने के लिए यहाँ जाएं !
क्रांति की उम्मीद में हम
लगातार उसको ताक रहे हैं,
अँधेरी कोठरी में चंद जुगनू लिए
हम झांक रहे हैं .
रोशनी जब चीरकर घुस आएगी ,
इस अँधेरे की तभी,
सचमुच में शामत आएगी !!
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इस पोस्ट के लिए धन्यवाद । मरे नए पोस्ट :साहिर लुधियानवी" पर आपका इंतजार रहेगा ।
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