अन्‍ना का चिट्ठा : क्‍या छूट सकती है चिट्ठाकारी की लत... अरे ... नहीं बाबा नहीं ...

अरे ... नहीं बाबा नहीं
लत जाए लग
तो छूटती नहीं

चिट्ठाकारी की लत
लग जाती है जिसे
चाहे वह अन्‍नाभाई हो
या हो अन्‍ना हजारे
छूट नहीं सकती
लो आ पहुंचे
दोबारा से इंटरनेट के द्वारे


पढ़ने के लिए पाठक आ रे
आ रे ..... आरे .... आरे रे रे रे
टिप्‍पणियां करता रह
दूर मत जा रे

भ्रष्‍टाचार को मारने के लिए लात
अब चिट्ठाकारी की लत
काम आएगी

अन्‍ना टंकी से उतर आए हैं
उसमें से भरने के लिए
भ्रष्‍टाचारियों की आंखों में
शर्म का पानी लाए हैं ।

4 टिप्‍पणियां:

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