नूडल्स (लघु कथा)
Posted on by Sumit Pratap Singh in
गाड़ी में चलते-फिरते रेस्टोरेंट का मालिक बूढ़े कुक पर गुर्राया, "अबे बुड्ढे इतनी उम्र हो गयी है लेकिन तुझे नूडल्स बनाने नहीं आये. देख आज फिर से ग्राहक नूडल्स बिना खाए छोड़ गए. साले गलती तू करे और भुगतूं मैं." "लेकिन साब मैंने तो नूडल्स सही बनाए थे." बूढ़ा कुक धीमी आवाज में बोला. "चुप बे बुड्ढे! सही बनाए थे तो ग्राहक क्यों अंट-शंट बक रहे थे? आगे पढ़ें
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aapne nudles k sahare bharat ki sachchi dasha aur asamanta ko sundar dhang se darshaya hai,achcha lekh.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया राज जी...
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