किताब,जो वस्तुत: ग्रामीण परिवेश की परिस्थितियों से उत्पन्न विविध प्रकार के भौंजालों के बीच विवशता भरी छटपटाहट का खुला दस्तावेज है, जिसमें जातीय संघर्ष, अनुसूचित जन-समुदाय के शोषण,कलह,ईर्ष्या,वर्ण-व्यवस्था से ग्रस्त जन-मानस की कुंठाओं एवं संत्रासों का सहज उदघाटन हो जाता है।
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लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद