एक पत्र पेट्रोल के नाम
Posted on by Sumit Pratap Singh in
प्यारे पेट्रोल भैया
सादर तेलस्ते!
तुम्हारे और मंहगा होने के बाद आज संता अपना स्कूटर लेकर पेट्रोल पम्प गया. जब सेल्समैन ने पूछा कि कितने का पेट्रोल डालूं तो वह दुखी हो बोला, " पाँच- दस रूपये का पेट्रोल स्कूटर के ऊपर छिड़क दे. आज इसमें आग लगानी है." हा हा हा! बहुत हंसी आ रही होगी न तुम्हें इस घटना को सुनकर. ख़ुशी के मारे उछल रहे होगे. खुद का रेट बढ़ाने पर सरकार को खूब शाबासी दे रहे होगे. तुमने इस घटना का मज़ा तो खूब लिया लेकिन क्या संता के रूप में उस आम आदमी की पीड़ा को समझने की थोड़ी सी भी कोशिश की जो दिन- प्रतिदिन तुम्हारे चढ़ते भाव को किस तरह झेल रहा है. सुना है कि धरती के भीतर जीवाश्मों के सैकड़ों साल सड़ने के बाद तुम बनते हो. तो जिस तरह तुम बनते हो उसी तरह का दिल भी रख लिया. बहुत खूब. बहुत खूब. बहरहाल ऐसा नहीं है कि तुम्हारे द्वारा किसी का भला न हुआ हो. अरब देशों पर तुम्हारी विशेष कृपा हुई है और वो फटेहाल से संपन्न हो गए. तुम न थे तो वहां के कबीले भुखमरी से दुखी हो एक-दूसरे...आगे पढ़ें...
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
आपके आने के लिए धन्यवाद
लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद