एनएसडी से रिजेक्ट होने के बाद भी नहीं हारी हिम्मत: वाजपेयी

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से कई बार रिजेक्ट होने के बाद भी अंदर छुपे हुए अभिनेता ने हार नहीं मानी। यही कारण है कि आज गंभीर रोल की वजह से दुनियाभर में पहचान बनी हुई है। उक्त शब्द सुप्रसिद्ध अभिनेता मनोज वाजपेयी ने डीएवी गल्र्स कालेज में चल रहे चौथे हरियाणा अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोह के दौरान कही। मनोज बाजपेयी मेकिंग ऑफ एन एक्टर कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे, जिसका संचालन मोहल्ला लाइव डॉट कॉम के मॉडरेटर  अविनाश ने किया। 
मनोज बाजपेयी ने बताया कि उनके पिता उन्हें डाक्टर बनाना चाहते थे। लेकिन उन्होंने डाक्टर की पढ़ाई के लिए परीक्षा नहीं दी और वे सीधा दिल्ली पहुंच गए और रंगमंच से जुड़ गए। रंगमंच पर शुरू में ऐसे लोगों से पाला पड़ा जो जीवन को दूसरे नजरिए से देखते थे। अपना अनुभव बांटते हुए वाजपेयी ने कहा कि श्रीराम सेंटर में नेटुआ नाटक प्रस्तुत करते समय जब बत्ती गुल हो गई तो, वहां पर कैंडल्स के बीच उन्होंने शो किया। थियेटर की मशहूर शख्सियत बैरी जॉन से थियेटर की तालीम ले चुके मनोज वाजपेयी से जब यह पूछा गया कि आखिर क्या वजह रही वो गंभीर सिनेमा की ओर मुड़े और शाहरूख खान ने कमर्शियल सिनेमा का रूख किया, तो उन्होंने कहा कि शाहरूख शुरू से ही चार्मिंग रहे है। यही वजह है कि उन्होंने कमर्शियल सिनेमा को अपनाया और उसमें आगे बढ़े, जबकि मनोज ने समानांतर सिनेमा को चुना। मनोज ने बताया कि उनकी शुरू से ही इच्छा रही है कि वह नसीर, ओमपुरी की तरह सिनेमा करें और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल करें। यही वजह है कि वे शुरू से ही रंगमंच के प्रति समर्पित रहे हैं। शेखर कपूर की फिल्म बैंडिट क्वीन में मानसिंह की भूमिका निभाने के बाद शेखर कपूर ने उनसे कहा था कि तुम्हारा काम अभिनय करना है, जबकि कैमरा मैन का काम उसे कैप्चर करना है। तुम अभिनय नहीं करोगे, तो उसे बार-बार करना पड़ेगा। मनोज बाजपेयी ने बताया कि तब से शेखर कपूर की ये सीख उन्हें याद है। उन्होंने कहा कि अपनी फिल्मों के सबसे बड़े आलोचक वे खुद है और फिल्म पूरी होने के बाद कभी भी अपनी फिल्म नहीं देखी। 
मनोज वाजपेयी ने बताया कि उनकी पहली फिल्म बैंडिट क्वीन थी, जो कि शेखर कपूर के साथ थी। इस फिल्म में उन्होंने जो चरित्र निभाया था, वह खामोशी वाला था। लेकिन ये फिल्म करने के  ४-५ साल तक उन्हें कोई काम नहीं मिला। इम्तिहान और स्वाभिमान जैसे सीरियलों में काम करने के बाद उन्हें कुछ पैसे तो मिले, लेकिन पहचान नहीं। उन्होंने बताया कि सत्या, शूल, जुबैदा, दिल पर मत ले यार इत्यादि फिल्मों में उन्होंने यादगार अभिनय किया है। भारी संख्या में दर्शकों ने भी मनोज वाजपेयी से सवाल पूछे। दर्शकों ने मनोज के कैरियर, उनकी फिल्मी जिंदगी के उतार चढ़ावा और निभाए गए चरित्रों को लेकर कई सवाल दागे, जिनका मनोज ने बड़ी चतुराई से सामना किया। जिनमें श्वेता सिंह और नवीन कुमार के सवालों को खुद मनोज ने बेहतरीन सवाल बताया और उन्हें अपनी फिल्म की डीवीडी भेंट की।

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