एक पत्र लंकाधीश रावण के नाम

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  • Sumit Pratap Singh
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  • प्यारे लंकाधीश रावण
    सादर दहनस्ते!

    बहुत दिनों से मेरे भोले से मन में एक प्रश्न खलबली मचाये हुए है. यही कि आपके सिर तो पूरे दस हैं और हाथ केवल दो. जब कभी मौसम बदलता होगा और आपको जुकाम होता होगा तो कैसे व्यवस्थित करते होंगे अपने दो हाथों से दस नाकों को. रावण जी इश्माइल...आगे पढ़ें...

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