राग दरबारी ने श्रीलाल शुक्‍ल को अमर कर दिया है : कहीं नहीं गए वे यहीं हैं

अंक की समीक्षा
ज्ञानपीठ पुरस्कार और पद्म भूषण से सम्मानित तथा 'राग दरबारी' जैसा कालजयी व्यंग्य उपन्यास लिखने वाले मशहूर व्यंग्यकार श्रीलाल शुक्ल का शुक्रवार यहां सहारा अस्पताल में निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे।
 
पारिवारिक सूत्नों के अनुसार 31 दिसंबर 1925 में लखनऊ जनपद के अतरौली गांव में जन्मे शुक्ल सांस लेने में तकलीफ के बाद 16 अक्टूबर को गोमती नगर स्थित सहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से वह अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती थे।  हिंदी साहित्य जगत की इस जानी-मानी विभूति ने  शुक्रवार सुबह 11.30 बजे दम तोड़ दिया। श्री शुक्‍ल लम्बे समय से बीमार थे।

शुक्ल की खराब तबीयत के मद्देनजर प्रदेश के राज्यपाल बी.एल. जोशी ने 18 अक्टूबर को अस्पताल की आईसीयू में ही उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया था।


नुक्‍कड़ परिवार श्रीलाल शुक्‍ल जी को विनम्र श्रद्धासुमन अर्पित करता है।


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