अंक की समीक्षा |
पारिवारिक सूत्नों के अनुसार 31 दिसंबर 1925 में लखनऊ जनपद के अतरौली गांव में जन्मे शुक्ल सांस लेने में तकलीफ के बाद 16 अक्टूबर को गोमती नगर स्थित सहारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब से वह अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में भर्ती थे। हिंदी साहित्य जगत की इस जानी-मानी विभूति ने शुक्रवार सुबह 11.30 बजे दम तोड़ दिया। श्री शुक्ल लम्बे समय से बीमार थे।
शुक्ल की खराब तबीयत के मद्देनजर प्रदेश के राज्यपाल बी.एल. जोशी ने 18 अक्टूबर को अस्पताल की आईसीयू में ही उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया था।
नुक्कड़ परिवार श्रीलाल शुक्ल जी को विनम्र श्रद्धासुमन अर्पित करता है।
हर किसी को जाना है उस जगह जहाँ से कोई वापस नहीं आता है?
जवाब देंहटाएंrag darbari kabhi padha nahi lekin iska nam itana suna hai ki shri shukl ji ka nam jana pahchana lagne laga...adranjali..
जवाब देंहटाएंआज 29- 10 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएं...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
विनम्र श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंश्रद्धांजलि!
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