आवश्यकता, उपयोगिता, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय दुनिया से सैकण्डों में अपनी बात के जरिए जुड़ने वालों की बढ़ती संख्या को देखते हुये आज ब्लॉगिंग जैसे द्रतगामी संचार माध्यम को पॉचवा स्तम्भ माना जाने लगा है। कोई इसे वैकल्पिक मीडिया तो कोई न्यू मीडिया की संज्ञा से नवाजने लगा है । हलांकि हिन्दी ब्लॉगिंग का इतिहास महज ८ वर्ष का ही है मगर इसकी पैठ और प्रवृत्तियों पर लोगों की पैनी नजर है...
हिन्दी ब्लागिंग का इतिहास और प्रवृतियों पर डा. अरविन्द मिश्र की वेबाक राय आज सृजनगाथा पर प्रकाशित हुई है ....पढ़ने के लिए यहाँ किलिक करें
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
जवाब देंहटाएंअधिक से अधिक लोग आपके ब्लॉग पर पहुँचेंगे तो चर्चा मंच का भी प्रयास सफल होगा।
बढिया पोस्ट। सृजनगाथा हिन्दी की प्रमुख वेबपत्रिकाओं में से है। मैनें तो अपने ब्लॉग पर इसका लिंक भी लगाकर रखा है। वैसे प्रिन्ट मीडिया भी ब्लॉगिंग की धमक बढ़ती जा रही है। अभी पिछले सप्ताह दैनिक जागरण समाचारपत्र में भी इस विषय पर एक खबर छपी थी जिसमें सृजनगाथा समेत हिन्दी की प्रमुख वेब पत्रिकाओं यथा अभिव्यक्ति, कविताकोश आदि का जिक्र किया गया था। खबर में वेब पर फैले हिन्दी खबरों और हिन्दी साहित्य के संसार को तवज्जो दी गई थी। यह दर्शाता है कि लोग बाग ब्लॉगिंग को नोटिस ही नहीं कर रहे, बल्कि उसकी विभिन्न गतिविधियों पर बराबर नजर रख रहे हैं।
जवाब देंहटाएंjaankari parak behtarin lekha/.,....badhayee aaur amantran ke sath
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