दलितों का हो अपना मीडिया

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  • पुष्कर पुष्प
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  • दलितों का हो अपना मीडिया: दलितों की कोई नयी मांग नहीं है कि उनका अपना मीडिया हो। हिन्दुवादी मीडिया में दलितों का अपना कोई व्यापक मीडिया नहीं है और न ही हिन्दुवादी मीडिया की तरह व्यवसायिकता और व्यापकता के साथ भारतीय मीडिया पर काबिज है। कहने के लिए तो सैकड़ों दलित पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही हैं, जो दलितों द्वारा संचालित हो रही है। पत्र और पत्रिकाओं के मालिक संपादक, सभी दलित हैं। लेकिन आज दलित मीडिया राष्ट्रीय पटल पर स्थापित होने की छटपटाहट में है। यह छटपटाहट हाल-फिलहाल की नहीं है।

    दलितों के ऊपर उत्पीड़न, शोषण और उनकी खबरों को हिन्दुवादी मीडिया द्वारा अपने तरीके से परोसे जाने को लेकर दलितों के बीच प्रतिरोध है। शुरू से ही भारतीय हिन्दू मीडिया दलितों की खबरों को अपने तरीके से संजोती परोसती और दिखाती रही है। हमेशा से दलित-पिछड़े हिन्दुवादी मीडिया के बीच उपेक्षित रहे हैं। कुछ खबरों को दिखा देने पर यह कतई नहीं माना जा सकता कि हिन्दुवादी मीडिया के दिलों दिमाग पर दलितों को लेकर कुछ जज्बा है। अगर खबरें आ भी जाती है तो...

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    4 टिप्‍पणियां:

    1. इस आधुनिक युग में मीडिया को किसी जाति अथवा किसी धर्म के तराजू पर नहीं तौला जाना चाहिए .अगर तौला गया तो वह सम्पूर्ण मानवता के लिए खतरनाक होगा .

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    2. बधाई --
      जबरदस्त प्रस्तुति पर ||

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    3. bde khed ka vishy hai ki aap jaise vykti ne bhi aisa likha hai
      kya dlit mnushy nhi hai jo unhe alg dikhya ja rha hai kya unhe aap is smaj ka ang nhi man rhe hain aaj dlit bhla khan alg dikhai pd rhe hain han aap jaise kuchh log jroor unhe alg bnaye rkhna chahte hain jis se dukan dari chlti rhe aur midiya kb se hindoovadi ho gya midiya hi hai jo ghor hindoo virodhi hai aur any mton ka smrthk kya smaj me is prkar ka vish failana uchit hai au jitna jativad dliton me hai utna aur jgh nhi hai uchch dlit nimn dlit se apne smbndh nhi bnata hai un se vidvesh rkhta hai yh schchai hai aap chaen to prman diye ja skte hain jo log dlit ke nam pr labh le rhe hain ve apne se kmjor ko us labh se vnchit rkhte hain main dlit jaisi chij alg nhi manta hoon sb sman baandhv hain

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    4. it is unfortunate the divison of dalit and non dalit ,this is the cause of hindrance in country &
      countrymen 's development." मानुख की जात सब एकै पहिचानिबो ". it is needed to prove best itself.

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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