ब्लॉगिंग को आन्दोलन का स्वरुप देने के लिए जागरण जंक्शन ने सबसे पहले अपना स्पेस दिया और अब नवभारत टाइम्स ने इसे एक बड़ा प्लेटफॉर्म देकर यह सिद्ध कर दिया कि आने वाला समय बेशक हिंदी ब्लॉगिंग का ही है । इसके माध्यम से नई क्रान्ति की प्रस्तावना की जा सकती है । पहली बार हिंदी ब्लॉगिंग की एक मूल्यांकनपरक पुस्तक और हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास प्रकाशित करने का श्रेय प्राप्त किया है हिंदी साहित्य निकेतन बिजनौर ने । रवि रतलामी के अनुसार कोई पौने चार सौ पृष्ठों की इस किताब में हिंदी ब्लॉगिंग के तमाम छुए-अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला गया है। किताब वस्तुतः हिंदी ब्लॉगिंग के विविध आयामों में जमे और डटे ब्लॉगरों की लिखी सामग्री को लेकर संपादित व संयोजित किया गया है। एक तरह से यह ब्लॉग, खासकर हिंदी ब्लॉग के लिए रेफरेंस बुक की तरह है, जहाँ आपको हिंदी ब्लॉगिंग के तकनीकी पहलुओं से लेकर इसकी सर्जनात्मकता और आर्थिकता आदि तमाम दीगर पहलुओं पर विस्तृत आलेख मिलेंगे।जबकि हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास १८८ पृष्ठों की है जिसमें विगत आठ वर्षों की समस्त गतिविधियों और प्रमुख ब्लॉगरो की चर्चा हुई है ।हिंदी ब्लॉगिंग के माध्यम से जारी है लगातार सफ़र जोश का ।
आने वाला समय बेशक हिंदी ब्लॉगिंग का ही है ।
Posted on by अविनाश वाचस्पति in
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हिंदी ब्लौगिंग
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हिंदी ब्लॉगिंग का इतिहास १८८ पृष्ठों की है जिसमें विगत आठ वर्षों की समस्त गतिविधियों और प्रमुख ब्लॉगरो की चर्चा हुई है ।हिंदी ब्लॉगिंग के माध्यम से जारी है लगातार सफ़र जोश का ।
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत बधाई --
इस जबरदस्त प्रस्तुति पर ||
आपका वचन सत्य हो अविनाश जी!...हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंबंधुवर इन पुस्तकों की ब्लोगिंग धर्म के अनुयाइयों के लिए वेद और श्रीमद भागवत गीता से तुलना करने पर कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ऐसा मेरा विचार है
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