नेता बोले तो सब ठीक, जनता बोले तो कैरेक्‍टर ढीला है

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • वे परीक्षा पास करके संसद में दाखिल हों, इसमें बुरी बात क्‍या हैजो उन्‍हें इसमें भी अपना अपमान लगने लगा है। नहीं पूछेंगे, मुश्किल सवाल, एबीसीडी सुन लेंगे, दस तक गिनती लिखवा लेंगे, एकाध जानवरों के चित्र पहचनवा लेंगे। इम्‍तहान तो दें कि डर का भूत सिर पर सवार है, फेल न हो जाएं।  मतलब अपने सिर पर पड़ी तो भारी अपनी खाल कटे तो आरी, वैसे कहते हैं कि अवाम ही है माई बाप। जीत कर या हार कर अथवा वोटरों को मार कर यानी किसी भी तरह सत्‍ता हथियाने वालेसंसद में घुस जाने वालों को गंवार नहीं तो और क्‍या कहा ... यदि रोचक लग रहा हो तो यहां पर क्लिक करके पूरा पढ़ लीजिए और अपनी बेबाक प्रतिक्रिया भी दीजिएगा


    आज नुक्‍कड़ के 500 फॉलोवर हो गए हैं, सभी को बधाई।
     
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