दुष्यंत को मिला प्रथम कविता कोश सम्मान, प्रेमचंद गांधी बने कोश के संपादक

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • (प्रथम कविता कोश सम्मान समारोह जयपुर में सफलतापूर्वक संपन्न)

    जयपुर। अंतर्जाल की दुनिया में कविताओं और कवियों का सबसे बड़ा ठिकाना है कविता कोश। हाल में ही कोश के संचालन को पांच साल पूरे हुए। इस मौके पर प्रथम कविता कोश सम्मान समारोह का आयोजन जयपुर में जवाहर कला केंद्र के कृष्णायन सभागार में किया गया। समारोह में घोषणा की गई कि कविता कोश के नए संपादक कवि प्रेमचन्द गांधी होंगे। भूतपूर्व सम्पादक अनिल जनविजय टीम के सक्रिय सदस्य के रूप में संपादकीय संयोजन का काम देखेंगे।

    प्रेमचन्द गांधी ने उपस्थित कवियों, श्रोताओं और समारोह के सहभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह दिन हिंदी कविता के इतिहास की बड़ी परिघटना है। पहली बार कोश को इंटरनेट की दुनिया से निकालकर सार्वजनिक मंच पर प्रस्तुत किया जा रहा है और इस समारोह में उपस्थित दो-ढाई सौ लोगों में मात्र वे कवि उपस्थित नहीं हैं, जो कविता कोश में शामिल हैं, बल्कि बहुत-से पत्रकार, हिंदी प्रेमी, छात्र, साहित्यकार एवं जनता के अन्य वर्गों के लोग भी उपस्थित हैं।

    कविता कोश के संस्थापक और प्रशासक ललित कुमार ने उपस्थित जन समुदाय को कविता कोश के इतिहास और कविता कोश वेबसाइट के उद्देश्यों से परिचित कराया। ललित ने कविता कोश के विकास में सामुदायिक भावना के महत्व पर बल दिया और बताया कि इस तरह की वेबसाइट का अस्तित्व सिर्फ सामुदायिक प्रयासों से ही संभव है। एक अकेला व्यक्ति इस तरह की वेबसाइट नहीं चला सकता,  इसीलिए शुरू में उन्होंने अकेले इस परियोजना को शुरू करने के बावजूद धीरे-धीरे अन्य लोगों को कविता कोश से जोड़ा और कविता कोश टीम की स्थापना की। अब यह टीम ही कविता कोश का संचालन करती है।

    रचनाकारों का सम्मान

    कविता कोश ने पंच वर्षीय जयंती के अवसर पर दो वरिष्ठ कवियों और पाँच एकदम नए युवा कवियों को सम्मानित करने का निर्णय लिया था। कविता कोश सम्मान 2011 के तहत  नरेश सक्सेना, लखनऊ (कवि), बल्ली सिंह चीमा, ऊधमसिंह नगर (कवि),  दुष्यन्त, राजस्थान (कवि), श्रद्धा जैन, सिंगापुर (शायर),  अवनीश सिंह चौहान, इटावा (नवगीतकार),  सिराज फ़ैसल  ख़ान, शाहजहांपुर (शायर) व  पूनम तुषामड़, नई दिल्ली (कवि) को सम्मानित किया गया।

    सम्मान के अंतर्गत वरिष्ठ कवियों नरेश सक्सेना एवं बल्ली सिंह चीमा को 11000 रू. नकद, कविता कोश सम्मान पत्र और कविता कोश ट्रॉफ़ी प्रदान की गई। पाँचों युवा कवियों को पाँच हजार रु. नकद, सम्मान पत्र और कविता कोश ट्रॉफ़ी दी गई। शाल ओढ़ाकर इन कवियों का सम्मान करने के लिए मंच पर कवि विजेन्द्र, ऋतुराज, कवि नंद भारद्वाज, आलोचक मोहन श्रोत्रिय आदि उपस्थित थे।

    सम्मान समारोह के बाद आयोजन विचार गोष्ठी में बदल गया था। कवियों ने चिंता व्यक्त की कि हिंदी भाषा और हिंदी कविता के लिए एक बड़ा खतरा पैदा हो रहा है। अंग्रेजी के बढ़ते प्रभाव के कारण और भारत के हिंदी भाषी क्षेत्र के निवासियों द्वारा हिंदी पर अंग्रेजी को प्रमुखता देने के कारण हिंदी संस्कृति और साहित्य का ह्रास हो रहा है। हिंदी को बाजार की भाषा बना दिया गया है लेकिन उसे ज्ञान और विज्ञान की भाषा के रूप में विकसित करने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। हिंदी कविता के नाम पर बेहूदा और मजाकिया कविताएँ लिखी, छपवाई और सुनाई जा रही हैं। हिंदी कविता के मंच पर तथाकथित हास्य कवियों का अधिकार हो गया है।

    कवि नरेश सक्सेना ने कहा कि स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक की संपूर्ण शिक्षा का माध्यम हिंदी को बनाया जाना चाहिए और सभी तरह के विज्ञान और प्रौद्योगिकी को भी हिंदी में ही पढ़ाया जाना चाहिए अन्यथा आने वाले दस बीस सालों में हिंदी का अस्तित्व खत्म हो सकता है। नरेश सक्सेना के अनुसार आज हिंदी की हैसियत घट गई है इसको अब वापस पाना होगा। सिर्फ आग लिख देने से कागज जलते नहीं बल्कि उन्हें जलाना पड़ता है। उन्होंने अपनी कविताओं से भी माहौल को जीवंत बनाया। उन्होंने मुक्त छंद में अपनी कविता पढ़ी।

    जिसके पास चली गई मेरी जमीन
    उसके पास मेरी बारिश भी चली गई
    (2)
    शिशु लोरी के शब्द नहीं
    संगीत समझता है
    बाद में सीखेगा भाषा
    अभी वह अर्थ समझता है

    कवि बल्ली सिंह चीमा ने अपने वक्तव्य में कविता कोश के प्रति आभार प्रकट किया कि उन्हें जयपुर आने और नए श्रोताओं से रूबरू होने का अवसर प्रदान किया गया है। यह सम्मान इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सम्मान किसी सरकारी संस्था या किसी राजनीतिक संगठन द्वारा नहीं दिया जा रहा है बल्कि कविता के प्रेमियों द्वारा कवियों को सम्मानित किया जा रहा है और यह बड़ी बात है। उन्होंने कामना की कि कविता कोश वेबसाइट पर अधिक से अधिक कवियों की ज्यादा से ज्यादा कविताएँ जुड़ें और यह हिंदी की सबसे बड़ी वेबसाइट बन जाए। चीमा जी ने कविता सुनाई....
    कुछ लोगों से आँख मिलाकर पछताती है नींद
    खौफ़ज़दा सपनों से अक्सर डर जाती है नींद
    हमने अच्छे कर्म किए थे शायद इसीलिए
    बिन नींद की गोली खाए आ जाती है नींद
    (2)
    मैं किसान हूँ मेरा हाल क्या मैं तो आसमाँ की दया पे हूँ
    कभी मौसमों ने हँसा दिया कभी मौसमों ने रुला दिया
    (3)
    वो ब्रश नहीं करते
    मगर उनके दाँतो पर निर्दोषों का खून नहीं चमकता
    वो नाखून नहीं काटते
    लेकिन उनके नाखून नहीं नोचते दूसरों का माँस

    कवि विजेन्द्र ने कहा कि कविताएँ दॄष्टिविहीन (visionless) नहीं होनी चाहिए| देश को सही विकल्प की और बढ़ाने वाली कविता ही सर्वश्रेष्ठ हो सकती है। कविता कोश इस दिशा में महत्वपूर्ण काम कर रहा है। इस अवसर पर वरिष्ठ कवि ऋतुराज, नंद भारद्वाज और मोहन श्रोत्रिय ने भी अपने अपने विचार प्रस्तुत किए।
    समारोह में कविता कोश की तरफ से कविता कोश की प्रशासक प्रतिष्ठा शर्मा, कोश की कार्यकारिणी के सदस्य धर्मेन्द्र कुमार सिंह, टीम के भूतपूर्व सदस्य कुमार मुकुल एवं आदिल रशीद, संकल्प शर्मा, रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', माया मृग, मीठेश निर्मोही, राघवेन्द्र, हरिराम मीणा, बनज कुमार ‘बनज’ आदि उपस्थित थे।.

    4 टिप्‍पणियां:

    1. पुरस्‍कार पाने वाले सभी साहित्‍यकारों को मेरी ओर से बधाई। लेकिन उससे पहले कविताकोश की टीम को बधाई देना चाहता हूँ जिनके हिमालयी प्रयास से कविताकोश ने आज एक संस्‍थागत अभियान का रूप ले लिया है।

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