हंस के रजत जयंती कार्यक्रम में 'साहित्यिक पत्रकारिता और हंस' विषय पर डॉ. नामवर सिंह का वक्तव्य

हंस के पच्चीस साल

(अगस्त 1986 से जुलाई 2011)


राजेंद्र यादव के संपादन में जनचेतना की प्रगतिशील पत्रिका हंस प्रकाशन के पच्चीस वर्ष पूरे कर चुकी है। हिंदी समाज ही नहीं, पूरे देश और देश की तमाम भाषाओं के लिए यह एक गौरवपूर्ण घटना है। हंस का प्रकाशन सबसे पहले 1930 में मुंशी प्रेमचंद ने शुरू किया था। हंस के शैशव काल से ही प्रेमचंद के अलावा महात्मा गांधी, राजगोपालाचारी, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, काका कालेलकर आदि विभूतियों के नाम उससे जुड़े रहे। बाद में श्रीपत राय और अमृत राय हंस के संपादक रहे। लेकिन साहित्यिक पत्रकारिता की विरल पड़ती धारा को अगस्त 1986 से राजेंद्र यादव के हंस ने लगातार प्रवहमान बनाए रखा। न सिर्फ कथा-साहित्य, बल्कि विभिन्न विधाओं के लिए इस पत्रिका ने मंच की भूमिका निभाई। अपने समय के अधिसंख्य रचनाकारों की पहली महत्त्वपूर्ण रचनाएं हंस में ही प्रकाशित हुईं। दलित विमर्श, स्त्री विमर्श, सांप्रदायिकता विरोध और सामाजिक नवजागरण जैसी देश-समाज की वृहत्तर बहसें हंस के पन्नों पर ही साकार हुईं। हंस का 25 साल का होना इन विमर्शों का भी युवा होना है।
हंस की रजत जयंती के अवसर पर 31 जुलाई को शाम पांच बजे ऐवाने गालिब सभागार में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। आयोजन में प्रख्यात आलोचक नामवर सिंह 'साहित्यिक पत्रकारिता और हंस' विषय पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे। उनके वक्तव्य के बाद कार्यक्रम में उन सहयोगियों को सम्मानित किया जाएगा जिनके बगैर इतने वर्षों तक इस पत्रिका का अनवरत चलते रहना नामुमकिन था। कार्यक्रम में तीन पुस्तकों का लोकार्पण भी किया जाएगा। ये पुस्तकें पिछले पच्चीस सालों के दौरान हंस में प्रकाशित सामग्री से चयन करके तैयार की गई हैं। ये पुस्तकें हैं-

1- पच्चीस वर्ष पच्चीस कहानियां : श्रृंखला संपादक- राजेंद्र यादव; संकलन-संपादक- अर्चना वर्मा
2. हंस की लंबी कहानियां : श्रृंखला संपादक- राजेंद्र यादव; संकलन-संपादक- अर्चना वर्मा
3. मुबारक पहला कदम : (हंस में प्रकाशित कथाकार की पहली कहानी) श्रृंखला संपादक- राजेंद्र यादव; संकलन-संपादक- संजीव
 
विषय- हंस के रजत जयंती कार्यक्रम में 'साहित्यिक पत्रकारिता और हंस' विषय पर डॉ. नामवर सिंह का वक्तव्य

स्थान- ऐवाने गालिब, माता सुंदरी रोड (बाल भवन के पास), दिल्ली

समय- रविवार 31 जुलाई, शाम 5 बजे

धन्यवाद

--
प्रतिभा कुशवाहा 
हंस रजत जयंती समारोह समिति 
09891191549



आप आ रहे हैं
आ रहे हैं तो
शामिल भी होंगे
सुनेंगे अवश्‍य
मनन कीजिएगा

सुनना और मनन करना
विचारों का बनाता है झरना
जो बहे जाता है अविरल

इस कार्यक्रम का संचालन
कर रहे हैं अजय नावरिया
मुझे नहीं जानते आप
तो अजय को तो जानते हैं
मैं भी उन्‍हें जानता हूं
जानता भी हूं और
पहचानता भी हूं

आपस में बहुत सारे लोग
एक दूसरे को पहचानते हैं
पर विचार एक दूसरे के
नहीं जानते हैं
लगता है जानते हैं
पर कोशिश होती है

एक कोशिश यह भी है
इस कोशिश में कशिश भी है
जानने की
समझने की
इसे मिस मत कीजिएगा।

रविवार 31 जुलाई 2011 को
सांय 5 बजे से
माता सुंदरी कॉलेज के पास
ऐवाने गालिब, दिल्‍ली में
आकर अवश्‍य मिलिएगा ।

1 टिप्पणी:

आपके आने के लिए धन्यवाद
लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

 
Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz