सवालों में उलझा बचपन .....!

Posted on
  • by
  • डॉ. मोनिका शर्मा
  • in
  • Labels:

  • इसे मासूम  मन में उपजी जिज्ञासा कहें या सब कुछ जान लेने की जल्दबाजी , बच्चों के  क्या ,क्यों और कैसे का सिलसिला कभी ख़त्म नहीं होता । कई बार तो प्रश्र ही ऐसे होते है कि अभिभावक उलझ कर रह जाते हैं। उनके प्रश्नों को टाल जाना ही बड़ों को बचने का एकमात्र मार्ग नज़र आता है | पर क्या यह सही है ? Yah Post Yahan padhen...!

    2 टिप्‍पणियां:

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
    Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz