खून से नहीं, दिल से जुड़ा होता है मां का रिश्ता: "8 मई यानी मदर्स डे, इसकी कल्पना करते ही मन में मां के प्रति श्रद्धा और सम्मान की भावना जागृत हो जाती है। संतान की खुशी और सुख माँ के लिए उसका संसार होता है, लेकिन बड़े होने के बाद संतान यह भूल जाती है कि उन्हें पालने में मां ने कितनी मुसीबत झेली होगी।
दरअसल, मदर्स डे मनाने का मूल कारण माताओं को सम्मान देना और एक शिशु के उत्थान में उसकी महान भूमिका को सलाम करना है। यह मातृत्व प्रेम ही है, जिसमें मां अपनी संतान के लिए वह सब कुछ छोड़ देती है, जिसे सामान्य तौर पर छोड़ना एक इंसान के लिए संभव नहीं। ममता की यही ताकत एक महिला को गर्भ धारण करने का बल देती है और वह उसे 9 माह गर्भ में पोषित करती है। कभी बच्चे की जिंदगी की बात आती है तो मां अपने प्राणों को निछावर करने से भी नहीं हिचकती। मां और संतान के बीच इस अतिसंवेनशील अपनत्व की जगह क्या है? आखिर कौन-सा ऐसा कारण है, जो माता को अपनी संतान के प्रति इतना संवेदनशील बना देता है और वह अपनी परवाह किए बगैर उसके हित के बारे में सोचती है। इसे समझना और बूझना आसान नहीं है।
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खून से नहीं, दिल से जुड़ा होता है मां का रिश्ता
Posted on by पुष्कर पुष्प in
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माँ !की संवेदनाओं पर टिपण्णी करना बहुत मुश्किल काम है .माँ !ज़ाहिर न करे तब भी प्यार बहुत करती है ,हर मुसीबत में पहुँच जाती है ढाल बनके .घर बाहर कहीं भी ,हम उसके लिए हमेशा वही होतें हैं ,रहतें हैं .ता उम्र !
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