चूल्हे चौकें के चक्कर में पूरा दिन कब बीत जाता था, इसका अंदाजा ही नहीं लग पाता था। लेकिन आज वे बेहद खुश है, क्योंकि उन्होंने खुद के व्यक्तित्व विकास के लिए डीएवी गल्र्स कालेज के विमैन स्टडी सेंटर द्वारा आयोजित कंप्यूटर लिटरेसी कोर्स को पूरा कर लिया है। सोमवार को कालेज में ग्रामीण क्षेत्र की ऐसी महिलाओं व लड़कियों को प्रमाण पत्र वितरित किए गए, जिन्होंने तीन महीने तक इस कोर्स में भाग लिया। विमैन स्टडी सेंटर की इंचार्ज अर्चना रावत ने बताया कि ग्रामीण व शहर की विभिन्न कालोनियों में रहने वाली महिलाओं को कंप्यूटर शिक्षा देने के उद्देश्य से करीब तीन महीने पहले कंप्यूटर लिटरेसी कोर्स शुरू किया गया था। जिसमें जम्मू कालोनी, रतनपुर, तेजली, छछरौली क्षेत्र की २५ महिलाओं व लड़कियों ने भाग लिया। कोर्स के दौरान कंप्यूटर विभाग की शिक्षिकाओं ने इन्हें बेसिक कंप्यूटर, इंटरनेट, टाइपिंग, एमएस वर्ड, विडों इत्यादि की जानकारी दी गई। ताकि वे इसका प्रयोग दैनिक कार्यों में कर सकें। कालेज प्रिंसिपल डा. सुषमा आर्य ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में आज भी ज्यादातर लड़कियां व महिलाएं कंप्यूटर शिक्षा से वंचित है। तीन महीने तक चले इस कोर्स का मुख्य उद्देश्य उन्हें कंप्यूटर की नई तकनीक से अवगत करना था। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में भी कालेज में इस प्रकार के तीन और कोर्स आयोजित किए जाएंगे। ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण महिलाओं को कंप्यूटर की नि:शुल्क शिक्षा दी जा सकें। समारोह में डा. अलका व डा. मंजू खन्ना ने महिलाओं व लड़कियों को प्रमाण पत्र वितरित किए। समारोह के दौरान विमैन स्टडीज़ कोर्स की छात्राओं को भी प्रमाण पत्र वितरित किए गए।
कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा-
छछरौली निवासी रजनी, रेखा, मंजू, जम्मू कालोनी की शारदा, सोनिया व रेखा का कहना है कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वे इस प्रकार से कंप्यूटर की शिक्षा लेंगी। पहले तो उन्हें कंप्यूटर की एबीसीडी भी मालूम नहीं थे। लेकिन तीन महीनों के दौरान वे इतना जरुर सीख गई हैं कि ठीक प्रकार से उसे ओपरेट कर सकें। रतनपुरा निवासी मोहन लता, दिव्या, रोशनी व इंदू का कहना है कि कंप्यूटर सीखने के बाद अब वे अपने रिश्तेदारों के यहां ई मेल इत्यादि भेज सकती है। इसके अलावा वे अन्य कार्य भी कर रही हैं। नि:शुल्क में कंप्यूटर शिक्षा देकर मुख्यधारा से जोडऩे का श्रेय डीएवी गल्र्स कालेज के विमैन स्टडी सेंटर को जाता है।
कभी नहीं सोचा था कि ऐसा होगा-
छछरौली निवासी रजनी, रेखा, मंजू, जम्मू कालोनी की शारदा, सोनिया व रेखा का कहना है कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वे इस प्रकार से कंप्यूटर की शिक्षा लेंगी। पहले तो उन्हें कंप्यूटर की एबीसीडी भी मालूम नहीं थे। लेकिन तीन महीनों के दौरान वे इतना जरुर सीख गई हैं कि ठीक प्रकार से उसे ओपरेट कर सकें। रतनपुरा निवासी मोहन लता, दिव्या, रोशनी व इंदू का कहना है कि कंप्यूटर सीखने के बाद अब वे अपने रिश्तेदारों के यहां ई मेल इत्यादि भेज सकती है। इसके अलावा वे अन्य कार्य भी कर रही हैं। नि:शुल्क में कंप्यूटर शिक्षा देकर मुख्यधारा से जोडऩे का श्रेय डीएवी गल्र्स कालेज के विमैन स्टडी सेंटर को जाता है।
किसी को छोड़ने की क्या जरूरत है
जवाब देंहटाएंउसे भी थामे रखो
इसे भी जमाये रखो
फिर एक दिन कंप्यूटर पर ही
सब्जी रोटी बनायेंगे
चूल्हे चौके के नये प्रतिमान बनायेंगे।
sahi me ....aatmnirbhar hona jaroori hai ..sabke liye....
जवाब देंहटाएंsarthak pahal sarahniy hai.
जवाब देंहटाएंBahut achcha laga padhkar.....
जवाब देंहटाएंचलो अब ब्लागिंग किया करो, क्योकि तीन महीने मे तो इतना ही कोर्स आयेगा, ओर रोटी की जगह पिज्जा मंगवाया करो, ऒर खाया करो, कल से ब्लागिंग शुरु देवियो
जवाब देंहटाएंहमारा लक्ष्य है सबको ब्लागिंग और कंप्यूटर पर हिंदी का ज्ञान हो, इसके लिए अपनी तरफ से पुरजोर कोशिश है।
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