नुक्‍कड़ में है दम : नुक्‍कड़ नहीं किसी से कम : नुक्‍कड़ के सम्‍माननीय फॉलोअर,लेखक और मौन पाठक एक बार इस पोस्‍ट को अवश्‍य पढ़ कर टिप्‍पणी दर्ज करें

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  • अविनाश वाचस्पति
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    नुक्‍कड़ के इतिहास में पहली बार यह अपील कर रहा हूं कि इस पोस्‍ट पर क्लिक करके आप अपनी राय बतौर टिप्‍पणी दर्ज करने और अपने-अपने ब्‍लॉगों पर इस पोस्‍ट की चर्चा अपने-अपने तरीके से करने का कष्‍ट कीजिएगा। इस पोस्‍ट पर टिप्‍पणियों का एक इतिहास बनना चाहिए। यह आप सबकी सक्रियता को प्रतिबिम्बित करेगा। 

    हम सबको यह दिखलाना है कि हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग के कदम सार्थकता की ओर बढ़ रहे हैं। साहित्‍य और तकनीक की दूरी नि:संदेह कम हो रही है। आज नुक्‍कड़ के अनुसरणकर्ताओं की संख्‍या 420 हो गई है जो यह सिद्ध करती है कि प्रत्‍येक प्रकार की चार सौ बीसी न तो हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में, न हिन्‍दी साहित्‍य में और न ही तकनीक के क्षेत्र में कायम रह पायेगी। 

    हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग, हिन्‍दी साहित्‍य मिलकर भविष्‍य की तकनीक को बल प्रदान करने की मुहिम में जुट गये हैं नुक्‍कड़वासी। नुक्‍कड़ को नुक्‍कड़ नहीं, मोहल्‍ला, चौराहा, सड़क, अंतरिक्ष, स्‍पेस बल्कि भविष्‍य का विश्‍व मानिये। इस सफलता में इसके चाहने वालों के योगदान को कम करके नहीं आंका जा सकता और इसको न पसंद करने वाले भी इस पर एक बार तो अवश्‍य आते ही हैं, चाहे वे इस पर टिप्‍पणी न करें। इस प्रकार से नुक्‍कड़ से प्रेम न करने वाले भी, इसे भुला नहीं पाते हैं और लौट-लौट कर वापिस नुक्‍कड़ पर ही आते हैं। यह आना-जाना ही सृष्टि के मूल में है और यही आवागमन नुक्‍कड़ के मूल में है। जब तक सृष्टि रहेगी तब तक नुक्‍कड़ भी मौजूद रहेगा। नुक्‍कड़ की अविरल श्रंखला नाटकों, धारावाहिकों से होती हुई हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग तक आ पहुंची है और अब शिखर की ओर बढ़ रही है। 

    अब से प्रत्‍येक एक अनुसरणकर्ता स्‍वयं में दस का दम समेटे होगा। 

    आपने अपनी टिप्‍पणी इस पोस्‍ट को पढ़कर यहां पर देनी है। 

    नुक्‍कड़ को और बेहतर करने के लिए आपके सुझावों का भी स्‍वागत है। आप चाहेंगे तो इसे पूर्ण वेबसाइट का रूप दिया जायेगा ताकि इसके लेखकों की संख्‍या सिर्फ 100 तक ही न सीमित रहे, बल्कि कई शतक इसमें और जुड़ें। चाहे वे सचिन के शतक न हों, पर उनका प्रभाव सचिन के शतकों से कम न होगा। 

    जय हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग
    जय हिन्‍दी साहित्‍य
    जय तकनीक।
     
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