आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है

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  • सुनील वाणी
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    आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है

    मिलने के नाम पर लूट लिया जाता है,
    हम हाथ फैलाए रह जाते हैं
    और किस्सा वहीं का वहीं रह जाता है
    आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है
    रोटी, कपड़ा और मकान तीन चीजें जो हैं जरूरी
    रोटी तो पहले ही पड़ रही थी भारी
    अब है तन से कपड़े गायब होने की बारी
    मकान का तो पूछो ही मत
    आसमां के नीचे आज भी है सोने की तैयारी
    तो किस्सा वहीं का वहीं रह जाता है
    और आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है

    5 टिप्‍पणियां:

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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