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आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है
मिलने के नाम पर लूट लिया जाता है,
हम हाथ फैलाए रह जाते हैं
और किस्सा वहीं का वहीं रह जाता है
आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है
रोटी, कपड़ा और मकान तीन चीजें जो हैं जरूरी
रोटी तो पहले ही पड़ रही थी भारी
अब है तन से कपड़े गायब होने की बारी
मकान का तो पूछो ही मत
आसमां के नीचे आज भी है सोने की तैयारी
तो किस्सा वहीं का वहीं रह जाता है
और आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है
आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है
मिलने के नाम पर लूट लिया जाता है,
हम हाथ फैलाए रह जाते हैं
और किस्सा वहीं का वहीं रह जाता है
आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है
रोटी, कपड़ा और मकान तीन चीजें जो हैं जरूरी
रोटी तो पहले ही पड़ रही थी भारी
अब है तन से कपड़े गायब होने की बारी
मकान का तो पूछो ही मत
आसमां के नीचे आज भी है सोने की तैयारी
तो किस्सा वहीं का वहीं रह जाता है
और आम आदमी हर बार यूं ही छला जाता है
आम आदमी के लिए लिखी गई कोई बात आम आदमी पढ़ भी नहीं पाता है। सही है... आदमी हर बार यूं ही छला जाता है।
जवाब देंहटाएंbahut sunder
जवाब देंहटाएंबेहतरीन एवं उम्दा!!
जवाब देंहटाएंसत्य वचन।
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ब्लॉगवाणी: ब्लॉग समीक्षा का एक विनम्र प्रयास।
sachchi baat ...aam aadmi jahan ka tahan hi khada hai.
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