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नई दुनिया में ब्लॉग लेखों का इस्तेमाल करते हुए लेख: नाम किसी ब्लॉग या ब्लॉगर का नहीं
जिन ब्लॉगों की सामग्री हूबहू ली गई हैं उनमें रवि रतलामी (रविशंकर श्रीवास्तव) काअभिव्यक्ति में लेख, बी एस पाबला के ब्लॉग बुखार से 3 पोस्ट, अविनाश वाचस्पति केनुक्कड़ से एक पोस्ट, शिवम मिश्रा के बुरा भला से एक पोस्ट, नवभारत टाईम्स पर मंगलेश डबराल का ब्लॉग आधारित लेखांश मुख्य पूरा पढ़ने और कुछ कहने के लिए यहां पर क्लिक कीजिए आपको बहुत सारी जानकारी मिलेगी।
आप जब वहां पर पहुंचेंगे तो जिन लोगों ने ब्लॉग इन मीडिया में पंजीकरण नहीं कर रखा है, उन्हें रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहा जाएगा, आप न तो शर्माइयेगा और न घबराइयेगा। तुरंत रजिस्ट्रेशन कर लीजिएगा तभी वहां पर आप अपनी बात कह पायेंगे।
क्या कहा जाये इन्हें...
जवाब देंहटाएंअखबार की ये करतूत बेशर्मी की हद पार कर रही है |
जवाब देंहटाएंसरेआम चोरी की है, सीनाजोरी भी करेंगे.
जवाब देंहटाएंबेशर्मी की हद है !
जवाब देंहटाएंइसी को कहते हैं चोरो और ऊपर से सीनाजोरी !
जवाब देंहटाएंबहुत शर्मनाक । आभार।
जवाब देंहटाएंलिंक क्लिक होने पर न जाने कहाँ पहुँचा रही है और फोटो पेज बडा होकर भी पढने जितना नहीं बन रहा है । कृपया कुछ और भी ट्रिक अपनाएँ.
जवाब देंहटाएंशर्मनाक.
जवाब देंहटाएं---------
पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
चलो भईया बहुत बढ़िया इसी बहाने अलग अलग लोगों के विचार
जवाब देंहटाएंएक साथ लोगों के पास पहुँच रहा है. अच्छे विचारों पे किसी एक
आदमी का एकाधिकार नहीं समझना चाहिए. हमें तो गुड़ खाने से
मतलब है ये गुड़ किस किसान के खेत से आया ये क्या हम पता
लगाने की कोशिश करते हैं? कृपया सकारात्मक दृष्टीकोण अपनाइए!
@ सुशील बाकलीवाल जी
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