(उपदेश सक्सेना)
आज का दिन जब शुरू हुआ था तब यह आशा नहीं थी कि इसकी सांझ इतनी हसीं होगी. दोपहर बाद अचानक अविनाश जी का फोन आया...कहाँ आफिस में हैं? मैंने कहा हाँ तो वे बोले- हम भी पास ही हैं, मैंने कहा स्वागत है. कुछ समय पश्चात ही अविनाश वाचस्पति जी के साथ अजय कुमार झा और रवीन्द्र प्रभात सामने नमूदार हो गए, बड़ी आत्मीयता के साथ चाय-पान के बीच ब्लोगिंग पर सार्थक चर्चा हुई। काफी नई तकनीकी जानकारियों का आदान प्रदान हुआ, महज एक घंटा न जाने कब बीत गया. रवीन्द्र जी को लखनऊ वापस लौटना था, सो मजबूरी में सभी को विदा करना पड़ा. हाँ, इस अल्प काल में जो आत्मीयता सभी में देखने को मिली, उसका कायल हो गया हूँ. सुनील वाणी के सुनील कुमार और अजीत झा भी इस दौरान मौज़ूद थे, चित्र इसकी बानगी है.
आज का दिन जब शुरू हुआ था तब यह आशा नहीं थी कि इसकी सांझ इतनी हसीं होगी. दोपहर बाद अचानक अविनाश जी का फोन आया...कहाँ आफिस में हैं? मैंने कहा हाँ तो वे बोले- हम भी पास ही हैं, मैंने कहा स्वागत है. कुछ समय पश्चात ही अविनाश वाचस्पति जी के साथ अजय कुमार झा और रवीन्द्र प्रभात सामने नमूदार हो गए, बड़ी आत्मीयता के साथ चाय-पान के बीच ब्लोगिंग पर सार्थक चर्चा हुई। काफी नई तकनीकी जानकारियों का आदान प्रदान हुआ, महज एक घंटा न जाने कब बीत गया. रवीन्द्र जी को लखनऊ वापस लौटना था, सो मजबूरी में सभी को विदा करना पड़ा. हाँ, इस अल्प काल में जो आत्मीयता सभी में देखने को मिली, उसका कायल हो गया हूँ. सुनील वाणी के सुनील कुमार और अजीत झा भी इस दौरान मौज़ूद थे, चित्र इसकी बानगी है.
जानकारी के लिए आभार।
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ध्यान का विज्ञान।
मधुबाला के सौन्दर्य को निरखने का अवसर।
शानदार ऐसे मिलन होते रहने चाहिए.....उपदेश सक्सेना जी जय कुमार झा की जगह अजय कुमार झा जी लिखिए.....
जवाब देंहटाएंअच्छा है ..ऐसी मुलाकातें हमें एक दुसरे के करीब लायेंगी, और समाज में नयी चेतना के लिए यह आवश्यक है ....शुक्रिया
जवाब देंहटाएंउपदेश जी,हमारी शाम और भी हसीन हो गयी ।
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग को फलते-फूलते हुए देखकर मन गद-गद हो गया है!
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