देश कि रास्ट्रीय राजधानी दिल्ली मैं अनाज खुले मैं भीग रहा सड़ रहा हैं

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  • देश कि रास्ट्रीय राजधानी दिल्ली मैं अनाज खुले मैं भीग रहा सड़ रहा हैं पर सरकारों का कोई ध्यान नही ....मामूली बारिस से हजारों टन अनाज खराब ...कोई इंतजाम नही सालों से यही समस्या ..बाहरी दिल्ली के नरेला मैं हजारों टन धान कि बोरियां बारिस मैं भीगी ....अनाज सड़ गया ...सालों से किसान व नरेला मंडी के व्यापारी यहाँ तक कि नरेला मंडी कि कमेटी भी कई बार लिखित मैं सरकार को पास करके ये मांग भेज चुकी हैं कि नरेला मंडी मैं सेड का इंतजाम किया जाए पर अभी तक कोई सुनवाई नही .............................
    ............. ये हैं देश कि जानी मानी अनाज मंडी नरेला यहाँ हरियाणा , पंजाब , राजस्थान , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश व और भी कई राज्यों के किसान अपनी फसल बेचने आते हैं
    .हर साल कि तरह इस टाइम यहाँ हजारों तक धान आया हुआ हैं ...सेड न होने कि वजह से ये धान खुले आसमान के नीचे पडा था कि अचानक बारिस आ गई अब बाहर से आये किसान केसे इन अनाज को इतना जल्दी उठाते ....उठाते भी तो लेकर कहाँ जाते ....अच्छे भाव के लिए दिल्ली की मंडी मैं आये पर इनका ये अन्नाज बारिस मैं भीग गया ...अनाज कि कीमत एक दम आधी से भी कम आ गई ....आज थोड़ी धुप लगी तो ये सुखा रहे हैं ..पर नमी इतनी ज्यादा आ गई कि अन्नाज व्यापारी इनसे आधी कीमत पर भी नही ले रहे हैं ..व्यापारी भी केसे भिया हुआ अनाज ले ...लाये तो थे अछि कीमत के लिए पर अच्छे के चक्कर मैं जो था उसमें से भी खो दिया अब ये सरकारों को रो रह हैं ..और कह रहे हैं कि अपने राज्य मैं ही बेच देते तो सही थे .................................. यहाँ किसान तो परेशान हैं ही बाकी यहाँ के व्यापारी भी अछि तरह काम नही कर पा रहे हैं ...नुकशान कि वजह से किसान कम आ रहे हैं तो व्यापारियों का भी काम घट हैं ..वे भी कई बार सेड लगाने कि मांग कर चुके हैं ....यहाँ तक कि मंडी कि कमेटी भी कई बार ये बात पास करके सरकार को भेज चुकी हैं कि मंडी मैं सेड लगाये जाए ..यहाँ हर सीजन मैं बारिस आने से कोई न कोई फसल खराब हो जाती हैं .......................................एक तरफ महेंगाई बाद रही हैं दूसरी तरफ फासले बर्बाद हो रही हैं पर सरकारों का कोई ध्यान नही ..जब हालात बिगड़ जाते हैं तभी सरकार जागती हैं ...यहाँ भी वहीं सब नजर आ रहा हैं ....
    अनिल अत्री दिल्ली


    1 टिप्पणी:

    1. अजी हमारे प्रधानमत्री जी की मजबुरी समझा करो ना, वो मजबूर हे, अब आनाज सडे या देश सडे उन्हे क्या, बेचारे मजबूर हे ना

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