काश हम सब भी गब्बर ही होते

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  • संजीव शर्मा/Sanjeev Sharma
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  • हम सब शोले के खलनायक गब्बर सिंह को एक दुर्दान्त,क्रूर,वहशी दरिंदे के रूप में जानते हैं बिलकुल वैसे ही जैसे रामचरित्र मानस में रावण,जबकि असलियत में रावण कुछ ओर ही था.ऐसे ही हमारे एक विद्वान साथी ने गब्बर सिंह पर नए अंदाज़ में प्रकाश डाला है.आइये आप सब भी गब्बर पुराण में शराबोर हो जाइये...
    1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले
    कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश
    जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना
    समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं और
    विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! “जो डर गया, सो मर गया” जैसे
    संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
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