" विशिष्ट पद रचना रीति :" आचार्य वामन
रीति सम्प्रदाय के प्रवर्तक आचार्य वामन ने "रीतिरात्मा काव्यस्य " कहकर रीति को काव्य कि आत्मा माना I वामन ने गुणों से सम्पन्न पदरचना को रीति कहा I इनका कथन हैं कि जेसे रेखाओं मैं चित्र समाविष्ट हो जाता हैं उसी प्रकार वेदर्भी , गोड़ी , पांचाली इन रीतियों मैं पूरा काव्य समा जाता हैं I वे तो यहाँ तक कहते हैं कि सर्वगुण सम्पन्न वेदर्भी रीति से युक्त होने पर तुच्छ काव्य भी आनन्द वर्षण करने लगता हैं ............
बाकी जानकारी लिंक मैं " विशिष्ट पद रचना रीति :" Link: http://anilattrihindidelhi.blogspot.com/2011/02/blog-post_13.html
अनिल अत्री दिल्ली
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें
आपके आने के लिए धन्यवाद
लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद