अरे भाई ,जब किसी वाहन में बैठते हो तब भी कंडक्टर पूछता है टिकिट कहाँ का काट दूं और आप झट से अपना गंतव्य, अपनी मंजिल बता देते हैं तो फिर इस जीवन के लिए आपने कोई मंजिल निश्चित ही तय की होगी ,आपको अपने लक्ष्य भी बहुत स्पष्ट होंगे और आप सही रूट की बस भी पकड़ना चाह रहे होंगे |पर यह इतना आसान कहाँ है? आज तो स्थिति यह है कि बनना कुछ चाहते हैं पर पढाई किसी ओर दिशा में कर रहे हैं| कभी कम्प्यूटर ,तो कभी मीडिया ,कभी साहित्य में हाथ आजमा ते हैं तो कभी दुकान खोल लेते हैं | कभी हम टीवी कलाकार बनाना चाहते हैं तो कभी डांसर, कभी गायकी में हाथ आजमा लेते हैं तो कभी- कभी लेखन भी शुरू कर देते हैं | आज के विद्यार्थियों से बातें करते हुए मुझे ऐसे अनुभव अक्सर हो रहे हैं | उनको यह नहीं पता होता कि हमें अपने जीवन में क्या करना है ,अपनी कोई रूचियाँ नहीं, बस बदलती दुनिया के साथ रोज रंग बदल लेते हैं | कभी एम.बी.ए जैसी उच्च शिक्षा पाने के बाद फिर सोचते हैं चलो अब आई.ए.एस. की तैयारी कर लेते हैं| कभी लगता है कि स्नातक परास्नातक तो बेकार की बातें हैं, चलो अब कोई प्रोफेसनल कोर्स कर लेते हैं फिर सोचाते है इसमें तो अच्छी कमाई नहीं चलो अब किसी ओर में हाथ आजमा लेते हैं | यानी कि हम आधी जिंदगी तक तो यही निश्चित नहीं कर पाते कि आखिर हमें करना क्या हैं|
बस हमारे सामने एक भीड़ है ,बहुमत जिधर चला जाता है उधर ही हम भ्रमित जाते हैं | हम कभी यह समझ ही नहीं पाते कि प्रत्येक व्यक्ति की अपनी प्राथमिकताएं हुआ करती हैं और उसे अपनी पारिवारिक परिस्थितियों के अनुकूल निर्णय लेने होते है| कोई जरूरी नहीं कि जो कार्य दूसरे के लिए लाभ का सौदा हो वह हमारे लिए भी हो | हमारी अपनी रूचिया, हमारा अपना परिवेश, हमारे अपने सरोकार बहुत मायने रखते हैं फिर दुनिया में कोई भी कार्य छोटा या बड़ा, अच्छा या बुरा नहीं हुआ करता| बुरा हुआ करती है हमारी नीयत, हमारा सोच, हमारे अपने कथन, हमारी अपनी विचार धाराए | आप जब भी किसी काम को अपने हाथ में लें पूरे मनोयोग के साथ और रूचि के साथ उसे पूर्ण करें सफलता अवश्य मिलेगी |
हम बहुत सारे कार्य अपने हाथ में ले लेते हैं -कुछ में हमारी रूचि नहीं होती कुछ दुनिया दिखावे और स्तर कोबनाये रखने के लिए जरूरी होता है और कुछ यूं ही बेमन से कर लिया जाता है| पर याद रखें सफल हम वहीं होते हैं जहां अपनी पूरी ताकत लगा देते हैं ,जो हमारी रूचि का काम होता है,जिसको करते हुए हम बोर नहीं होते ,जिसे करते हुए हमें आनंद आता है,समय यूं ही बीत जाता है और हमें पता भी नहीं चलता|
दुनिया के सारे काम .सारे रास्ते हमारे लिए खुले हैं |बस हम सबसे पहले अपनी प्राथमिकताए तो तय करें| हम अपने मन को जाने तो सही ,हम अपने विचारों को मान तो दें |हम अपने अस्तित्व को प्रमाणित तो करें |हम वही करें जो वास्तव में करना चाहते हों | हमें खुशी भी मिलेगी और हम अपने लक्ष्य में सफल भी अवश्य होंगे|
Posted by beena at 5:00 PM
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एक बेहद उम्दा और सार्थक आलेख ... आभार !
जवाब देंहटाएंयानी कि हम आधी जिंदगी तक तो यही निश्चित नहीं कर पाते कि आखिर हमें करना क्या हैं|
जवाब देंहटाएंबस हमारे सामने एक भीड़ है ,बहुमत जिधर चला जाता है
नही सभी ऎसा नही सोचते, ओर जो ऎसा सोचते हे वो कामयाब कम ही होते हे, हमे सब को एक मंजिल को निशचय करनी होती हे कि हम ने यह काम करना हे, यह पढाई करनी हे, फ़िर जब पांव जम जाये तो बाकी शोक के तोर पर कर सकते हे, भागदोड या दुसरो के देख कर किया काम ठीक नही होता, धन्यवाद इस सुंदर लेख के लिये
bahut sunder alekh
जवाब देंहटाएंSunder saarthak aalekh ...Beenaji
जवाब देंहटाएंसही बातें लिखी हैं आपने लेख में | बिना रूचि के कोई काम पूरा नहीं हो पाता,बिना लक्ष्य निर्धारण के सफलता संदिग्ध ही रहती है |
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