जी हमसे न तो झूठ बोला जाता न लिखा जाता.थोडा-बहुत..सच…बहुत कुछ झूठ- -पर ये बात शिक्षक वर्ग के लोगों पर लागू नही होता कर्मियों की अन्य प्रज़ाति पर भले ही लागू हो .आपको यक़ीन करना ही होगा कि "उद्धव" की मालकिन आदरणीया इन्दूपुरी गोस्वामी जी फ़ागुन को भूल ही गईं थीं कारण वही "जनगणना" शिक्षकों को इस बात की ज़वाब दारी दी गई है. उनके पाले में गिनती की ज़िम्मेदारी होती है हो भी क्यों न उन्हीं को तो गिनती आती है पूरी पूरी गिनती गिनते हैं वे ही सही मायनों में फ़िट हैं . पंचायत के चुनावों में मेरे तहसीलदार मित्र ने अपना अनुभव शेयर किया :- यार, मास्टरों की ड्यूटी लगाने का सबसे बड़ा फ़ायदा जानते हो क्या है..?
हम:-"न ...आप बताएं !"
ये लोग गिनते सही-साट हैं और जानकारी भी गज़ब बनाते हैं.
इस बात को आगे बढ़ाएऎंगे हम लोग यानी अस पीपुल इस वेबकास्ट के बाद तो सुशील कुमार का आलेख जो आलेख नहीं आक्षेप सा नज़र आता है पढ़्ने जा रहा हूं. वे कह रहे हैं अविनाश जी को क्या करना चाहिये क्या नही ! गुरु देव अविनाश वाचस्पति की लगाम कसो बहुत तेज दौड़ रिया है बंदा . चलिये अभी सुन लीजिये भयंकर हंगामा जो बमबसर पर. वैधानिक चेतावनी : कमज़ोर दिल वाले लोग न सुनें
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