दूरस्थ शिक्षा एक बहुत अच्छे उद्देश्य को लेकर आरम्भ की गयी थी. हमारे देश के एक वर्ग की आर्थिक स्थिति और उसके शिक्षा जारी रखने की ललक ने इसका जन्म दिया था. फिर इसमें तकनीकी शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा को भी जगह दे दी गयी. जब तक ये संस्थान सीमित थे इनकी गुणवत्ता पर संदेह नहीं किया जा सकता था किन्तु जब विश्वविद्यालयों में शिक्षा व्यापार बन गयी तो फिर ऐसे कुकुरमुत्तों की तरह से संस्थान भी खुलने लगे और जिनमें दूरस्थ शिक्षा के नाम पर बहुत सारी डिग्री बांटी जा रही हैं.
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