(सुनील) 7827829555
अनुशासन, ईमानदारी, सच्चाई और न जाने किन-किन आदर्शों के लिए गाँधी जी को जाना जाता है. जो बस एक खानापूर्ति मात्र रह गया है. किताबों में इन आदर्शों के बारे में बच्चों को केवल ज्ञान दिया जाता है, जिसका आज के जीवन से बहुत कुछ सम्बन्ध होते हुए भी कुछ वास्ता नहीं रह गया है. हमारी लाइफ स्टाइल ही कुछ ऐसी हो गई हैं जहाँ इन आदर्शों के कुछ मायने नहीं रह जाते. ये अलग बात हैं हम आज भी मंच पर जाकर उनकी आदर्शवादिता से रूबरू होते हैं, सुनने में अच्छा जो लगता है, और सामने वाला भी भला मानुस प्रतीत होता है. लेकिन सच तो ये है कि अनुशासन का अनुसरण करने वाला अब कोई नहीं रहा, ईमानदारी को भ्रष्टाचार के दीमक ने चट कर लिया और सच्चाई शब्दकोष में खो कर रह गई है. भला ऐसे में शहीदी दिवस को क्यूँ न आदर्शों के शहीदी दिवस आदर्शों की एक-एक पंक्तियाँ जला कर गाँधी को अपने आप से दूर कर रहे हैं. शेष पढ़ने के लिए क्लिक करें www.sunilvani.blogspot.com
अनुशासन, ईमानदारी, सच्चाई और न जाने किन-किन आदर्शों के लिए गाँधी जी को जाना जाता है. जो बस एक खानापूर्ति मात्र रह गया है. किताबों में इन आदर्शों के बारे में बच्चों को केवल ज्ञान दिया जाता है, जिसका आज के जीवन से बहुत कुछ सम्बन्ध होते हुए भी कुछ वास्ता नहीं रह गया है. हमारी लाइफ स्टाइल ही कुछ ऐसी हो गई हैं जहाँ इन आदर्शों के कुछ मायने नहीं रह जाते. ये अलग बात हैं हम आज भी मंच पर जाकर उनकी आदर्शवादिता से रूबरू होते हैं, सुनने में अच्छा जो लगता है, और सामने वाला भी भला मानुस प्रतीत होता है. लेकिन सच तो ये है कि अनुशासन का अनुसरण करने वाला अब कोई नहीं रहा, ईमानदारी को भ्रष्टाचार के दीमक ने चट कर लिया और सच्चाई शब्दकोष में खो कर रह गई है. भला ऐसे में शहीदी दिवस को क्यूँ न आदर्शों के शहीदी दिवस आदर्शों की एक-एक पंक्तियाँ जला कर गाँधी को अपने आप से दूर कर रहे हैं. शेष पढ़ने के लिए क्लिक करें www.sunilvani.blogspot.com
sab kuchh matr dikhawe ke liye rah gaya hai.
जवाब देंहटाएंbapoo ke madhyam se aapne desh ki vartman
chintniy sthiti ka yatharth likha hai.