हिन्दी ब्लॉगरों के सम्मेलनीय स्वरूप को चहुं ओर इसकी सकारात्मकता के साथ प्रवाहित करने वाले चर्चित ब्लॉग नुक्कड़ के मॉडरेटर और ब्लॉगर, साहित्यकार, व्यंग्यकार अविनाश वाचस्पति ने जबलपुर के मशहूर ब्लॉगर गिरीश बिल्लौरे ‘मुकुल’ के साथ मिलकर इन पलों को पूरे विश्व में प्रसारित करके ऐतिहासिक बना दिया है। इससे साबित होता है कि धुन के धनी जब चाहते हैं तो प्रत्येक परिस्थिति को अपने अनुकूल बना नेक कार्यों को सर्वोत्तम अंजाम तक पहुंचा देते हैं।
इस अवसर पर साहित्य शारदा मंच के तत्वावधान में उत्तराखंड स्थित खटीमा के ब्लॉगर, कवि डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ की दो पुस्तकें सुख का सूरज और नन्हे सुमन का लोकार्पण डॉ. इन्द्रराम, सेवानिवृत्त प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय काशीपुर के कर कमलों द्वारा किया गया । अविनाश वाचस्पति जी इस समारोह के मुख्य अतिथि रहे। एक साथ कई पायदानों पर सफलतापूर्वक सफर करने वाले अविनाश वाचस्पति और गिरीश बिल्लौरे के इस कारनामे को, हिन्दी ब्लॉगिंग विधा के चितेरे करोड़ों दर्शकों ने लगातार 6 घंटे तक इस जीवंत प्रसारण का भरपूर आनंद लिया और इसके साक्षी बने।
इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि इस जीवंत प्रसारण को अब भी लाइव टेलीकास्ट पर देखा और सुना जा रहा है। इसे टीम वर्क का अन्यतम उदाहरण बतलाते हुए अविनाश वाचस्पति ने इसका श्रेय जबलपुर के गिरीश बिल्लौरे, दिल्ली के पद्मसिंह के उनमें अपने प्रति विश्वास के नाम करते हुए कहा है कि इस सजीव प्रसारण से हिन्दी ब्लॉगिंग के शिखर पर पहुंचने के प्रयासों में अभूतपूर्व तेजी देखने में आएगी।
इस अवसर पर खटीमा में मौजूद रहे, प्रख्यात हिदी ब्लॉगर लखनऊ के रवींद्र प्रभात (परिकल्पना) , दिल्ली के पवन चंदन (चौखट) , राजीव तनेजा (हंसते रहो) , धर्मशाला के केवलराम (चलते चलते), बाराबंकी के रणधीर सिंह सुमन (लोकसंघर्ष) , खटीमा के रावेन्द्र कुमार रवि, डॉ. सिद्धेश्वर सिंह और आसपास के क्षेत्रों यथा बरेली, पीलीभीत, हल्द्वानी इत्यादि के साहित्यकार, कवि, प्रोफेसरों और हिन्दी ब्लॉगजगत के प्रेमियों सोहन लाल मधुप, बेतिया से मनोज कुमार पाण्डेय (मंगलायतन) ,शिवशंकर यजुर्वेदी, किच्छा से नबी अहमद मंसूरी, लालकुऑ (नैनीताल) से श्रीमती आशा शैली हिमांचली, आनन्द गोपाल सिंह बिष्ट, रामनगर (नैनीताल) से सगीर अशरफ, जमीला सगीर, टनकपुर से रामदेव आर्य, चक्रधरपति त्रिपाठी, पीलीभीत से श्री देवदत्त प्रसून, अविनाश मिश्र, डॉ. अशोक शर्मा, लखीमपुर खीरी से डॉ. सुनील दत्त, बाराबंकी से अब्दुल मुईद, पन्तनगर से लालबुटी प्रजापति, सतीश चन्द्र, मेढ़ाईलाल, रंगलाल प्रजापति, नानकमता से जवाहर लाल, सरदार स्वर्ण सिंह, खटीमा से सतपाल बत्रा, पी. एन. सक्सेना, डॉ. गंगाधर राय, सतीश चन्द्र गुप्ता, वीरेन्द्र कुमार टण्डन आदि उल्लेखनीय हैं।
कार्यक्रम का संचालन श्री रावेन्द्र कुमार रवि द्वारा किया गया।
नुक्कड़ संपादकीय टीम।
नि:संदेह गिरीश जी और अविनाश जी इस समारोह में तकनीकी की नयी मिसाल कायम की है, इन्हें कोटिश: शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंमैं तो ब्लॉगजगत का नन्हा ब्लोगर हूँ , किन्तु अपने को पहली बार इस समारोह में आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी जैसे व्यक्तित्व के आकर्षण में विल्कुल वेसुद्ध खोया हुआ पाया !
रवीन्द्र जी के बारे में जितना सुना था उससे कहीं ज्यादा विनम्र, सहृदय, आत्मीय, मृदुभाषी और आदर्श व्यक्तित्व के धनी हैं वे ! कार्यक्रम के दौरान जिसप्रकार हिंदी भाषा और साहित्य के विकास में ब्लोगिंग की भूमिका विषय पर उन्होंने लगभग आधे घंटे बोला और वहां बैठे श्रोता मंत्रमुग्ध होकर सुन रहे थे सबकी जुबान से बस यही फूट रहा था कि यार हिंदी ब्लोगिंग में ऐसे भी लोग हैं, विल्कुल इनसाक्लोपीडिया !
मेरी तो ब्लोगिंग सार्थक हो गयी आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी, अविनाश जी, सुमन जी, राजीव तनेजा जी, पद्म सिंह जी, केवल राम जी, शास्त्री जी जैसे प्रबुद्ध ब्लोगरों के सानिध्य का सुख पाकर !
गिरीश जी और अविनाश जी इस समारोह में तकनीकी की नयी मिसाल कायम की है, इन्हें कोटिश: शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंbadhai
जवाब देंहटाएंवाह ब्लागिंग तो हाई-फ़ाई हो गई है जी आजकल :)
जवाब देंहटाएंआशा ही नहीं अपितु विश्वास भी है कि हिन्दी के नये चिट्ठों में वृद्धि होगी और हिन्दी ब्लॉगिंग का विकास होगा!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ ...!
जवाब देंहटाएंकाजल भाई
जवाब देंहटाएंएक कार्टून
हो जाए
bahut-bahut badhai .
जवाब देंहटाएं