महात्मा की पत्रकारिता दिल्ली से देहात के बीच

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  • पुष्कर पुष्प
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  • महात्मा की पत्रकारिता और वर्तमान समय को लेकर विमर्श हो रहा है और यह कहा जा रहा है कि महात्मा की पत्रकारिता का लोप हो चुका है। बात शायद गलत नहीं है किन्तु पूरी तरह ठीक भी नहीं। महात्मा की पत्रकारिता को एक अलग दृष्टि से देखने और समझने की जरूरत है। महात्मा की पत्रकारिता दिल्ली से देहात तक अलग अलग मायने रखती है। पत्रकारिता का जो बिगड़ा चेहरा दिख रहा है वह महानगरीय पत्रकारिता का है। वहां की पत्रकारिता का है जिन्हें एयरकंडीशन कमरों में रहने और इसी हैसियत की गाड़ियों में घूमने का शौक है।

    पत्रकारिता का चेहरा वहां बिगड़ा है जहां पत्रकार सत्ता में भागीदारी चाहता है और यह भागीदारी महानगर में ही संभव है। दिल्ली से देहात की पत्रकारिता के बीच फकत इसी बात का फरक है। दिल्ली की पत्रकारिता से महात्मा पत्रकार दूर हैं तो देहाती पत्रकारिता में वे आज भी मौजूद हैं। READ MORE

    2 टिप्‍पणियां:

    1. mahatma ki patrakarita bahut seemit arthon me baki hai , samay ki maar se yah bhi achhuti kyon rahe ? kuchh logon ke liye hi naitik mulya mayne rakhte hain!

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    2. n keval ptrkaruta me balki samaj ke har kshetr me naitikta ka hras huaa hai lekin yah bhi sach hai ki poori tarah nahi .achchha aalekh .

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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