तुनीसिया में, लोगों के विद्रोह के चलते राष्ट्रपति को 23 साल के बाद देश छोड़ कर सउदी अरब भागना पड़ा है. तुनीसिया उत्तरी अफ्रीकी देश है जिसकी संस्कृति अरबी है. यह एक प्रगतिवादी देश रहा है जहां लोगों को बाकी देशों की अपेक्षा कहीं अधिक अधिकार प्राप्त रहे हैं . यह अपेक्षाकृत कहीं अधिक उदार व खुले विचारों वाला देश रहा है.
तुनीसिया में जनाक्रोश के चलते तख़्तापलट इस सदी की शायद सबसे महत्वपूर्ण घटना हो सकती है क्योंकि अथाह तेल-गैस-भंडारों के चलते अरब देश संसार के सबसे बड़े धन संग्रह पर कुडली जमाए बैठे हैं लेकिन इन देशों में लोग 100% दमित हैं. यहां के लोगों को मानवाधिकार तक प्राप्त नहीं हैं संवैधानिक अधिकार तो कोसों दूर की बात हैं. यहां की न्यायव्यवस्था अपने आप में ही एक समझने की चीज़ है. विदेशियों को लगभग कोई अधिकार हैं ही नहीं, जो कुछ भी उनके पास है वह बस gratis ही है. निचले दर्जे के विदेशी कामगार और जानवरों में कोई भेद नहीं है, इन देशों में. सउदी अरब में महिलाओं की जो हालत है वह किसी भी सभ्य समाज के बात करने लायक भी नहीं है. पूरी जनसंख्या को दबा कर रखा जाना ही एक मात्र तरीक़ा है यहां की व्यवस्था का. ILO व संयुक्त राष्ट्र अरसे से सुधारों की गुहार लगा रहा है पर कोई इनकी बातों पर कान ही नहीं दे रहा और सदस्य देश हैं कि तेल व पूंजीनिवेश के चलते ज़ोर भी नहीं डालते...
ऐसे में अगर किसी अरब देश के नागरिक यूं उठ खड़े हो गए हैं तो यह इस क्षेत्र की बाक़ी तानाशाहियों के लिए ख़तरे के घंटी हो सकती है वहीं दूसरी ओर यह मानवता के लिए शुभ घड़ी है. दुनिया के बाक़ी देशों को चाहिये कि वे ऐसे समय में वहां के लोगों की हर संभव सहायता करें.
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चित्र: गूगल से साभार
हमारे यहां के लोगों को मानवाधिकार कोन से मानव आधिकार हे जी? इस खबर से हमारे कमीने ओर हरामी नेताओ को जाग जाना चाहिये, वर्ना यह कहां भागे गे?
जवाब देंहटाएंbahut jankari vali post rahi hai yah .janta hi sajag hokar har anay ko mita sakti hai .aabhar
जवाब देंहटाएंहर अन्याय का अन्त होता है।
जवाब देंहटाएंहमारे देश की जनता कब जागेगी?
जवाब देंहटाएंट्य़ूनिशिया में यह काम बहुत पहले हो जाना चाहिए था।
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