स्वाभिमान टाइम्स 18.1.2011 |
झगड़े की जड़ है इन्सान
Posted on by उपदेश सक्सेना in
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updesh saxena
(उपदेश सक्सेना)
बहुत समय पहले की बात है। उन दिनों इंसान अकेला रहता था। उसके पास गाय-बैल, घोड़ा, कुत्ता जैसे जानवर नहीं थे। सभी पशु अलग-अलग रहते थे और उनका दर्जा इंसान से जरा भी कम नहीं था। इंसान और बाक़ी जानवर आपस में बात करते, एक-दूसरे से कभी दोस्ती कर लेते और कभी लड़ भी पड़ते। ऐसे ही एक बार बैल और घोड़े में झगड़ा हो गया। दोनों पहले अच्छे दोस्त थे और झगड़ा बहुत मामूली बात पर हुआ था, लेकिन दोनों एक-दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहा रहे थे। बैल और घोड़ा इसी फ़िराक़ में रहते थे कि कैसे अगले का नुक़सान किया जा सके। सो, एक दिन घोड़ा इंसान के पास पहुंच गया। उसे पता था कि इंसान के पास बहुत दिमाग़ है और उसे दोनों हाथों और पैरों का कई तरह से इस्तेमाल कर सकने में महारत हासिल है। बैल से दुश्मनी के चक्कर में वह आदमी के पास मदद मांगने पहुंच गया था।
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उसे पता था कि इंसान के पास बहुत दिमाग़ है.
जवाब देंहटाएंफिर भी घोडा इन्सान से मदद मांगने गया और बैल सहित उनकी अगली पूरी प्रजाति उस समय की मांगी गई मदद की आज तक कीमत चुका रही है ।
अगर सब ठीक-ठाक रहा तो 21.12.2012 को टंटा ही ख़त्म हो जाएगा :)
जवाब देंहटाएंकथा सार्थक है!
जवाब देंहटाएंअरे वाह बात बैल और घोड़े की थी
जवाब देंहटाएंमगर चित्र कुत्ते-बिल्ली का लगाया है!
बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर ..
जवाब देंहटाएंकभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक दृष्टी डालें .... धन्यवाद
सराहनीय प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदो के झगड़े मैं तीसरा तो फायदा उठावेगा ...उनकी के ऐसी तेसी होवे थी ..इंसान के पास गये .............
जवाब देंहटाएंAnil Attri ..............
itni kathayen sunane ke bad bhi bail aur ghode ko to chhodo insan ko bhi samajh nahi aayee....khas kar hame....har jhagde ko kisi choudhari ke pas ham abhi tak le ja rahe hai....
जवाब देंहटाएंअच्छी कहानी है |
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