मौजूदा सरकार को कितने अंक दें?

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  • सुनील वाणी
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    क्या यह सरकार वास्तव में कमजोर है, लाचार है, बेबस है या मजबूर है? क्या तजुर्बेकारों की यह टोली केवल दिखावा मात्र है? ऐसे न जाने कितने प्रश्न इस गठबंधन सरकार के लिए लोगों के मन में कौंधने लगा है। हालांकि भ्रष्टाचार और महंगाई के मामलों में अव्वल यह सरकार लगातार सात सालों से शासन कर रही है, ये भी अपने आप में बहुत बडा आश्चर्य है। किसी का किसी पे कोई नियंत्रण नहीं दिखता। सभी अपने अपने राग अलापने में लगे हुए हैं और अपनी अपनी मनमानी कर रहे हैं। जयराम रमेश एक सनकी मंत्री के रूप में उभर रहे हैं तो ए राजा भ्रष्टाचार को ही अपना सब कुछ बना बैठे हैं। इधर सुरेश कलमाडी अपना खेल खेलकर विजयी मुद्रा में दिख रहे हैं और अपनी जीत का जश्न मना रहे हैं। कपिल सिब्बल अपने अलावा सभी फाइलों में गलतियां निकालने में लगे हुए हैं और शरद पवार का बयान लगता है जैसे मौसम की भविष्यवाणी कर रहे हों। इन सबके बीच बेचारे प्रधानमंत्री खुद ही अपने आप को पीएसी के सम्मुख पेश होने का फरमान जारी कर देते हैं। जैसे एक पिता अपने पुत्रों की गलतियों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा हो। शांत और ईमानदारी निश्चित रूप से प्रधानमंत्री का आवश्यक गुण है, मगर अपने मंत्रियों पर नियंत्रण न होना, खुद को कमजोर और मजबूर दिखाना, किसी ठोस निर्णय पर न पहुंच पाना, ये लक्षण अगर दिखने लगे तो फिर उनका केवल शांत प्रिय और ईमानदार होना देश के लिए हितकर होगा। ऐसे में देशवासियों को मौजूदा सरकार को किस रूप में आंकना चाहिए और इसे कितने अंक दिए जाने चाहिए। शायद इसलिए सरकार ने अंक पध्दति खत्म कर ग्रेडिंग सिस्टम लागू कर दी ताकि कोई किसी भी स्तर पर फेल न हो और सबकुछ यूं ही चलता रहे। तो फिर गर्व से कहो हम भारतीय हैं?

    3 टिप्‍पणियां:

    1. बात तो सही कह रहे है आप ……………तो कह देते है हम सब भारतीय है और जैसे है वैसे ही रहेंगे।

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    2. अब जीरो से कोई कम गिनती हो तो बताएं.

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    3. परीक्षक तो जनता है. अभी परीक्षा के तीन-साढ़े तीन साल बाकी हैं. समय आने पर परीक्षक अपने नम्बर दे ही देगा . अभी इतनी ज़ल्दी क्या है ?

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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