हिन्दी भाषा और साहित्य में चिट्ठाकारिता की भूमिका -अभिव्‍यक्ति में रवीन्द्र प्रभात ने पेश किया है, अवश्‍य पढि़एगा

साभार अभिव्‍यक्ति
वर्ष-२०१० में हिंदी चिट्ठाकारिता के चहुमुखी विकास में पूरे वर्ष भले ही अवरोध की स्थिति बनी रही, किन्तु बुद्धिजीवियों का एक बड़ा तबका अपने इस आकलन को लेकर करीब-करीब एकमत है कि आने वाला कल हमारा है यानी हिंदी चिट्ठाकारिता का है। इसकों लेकर किन्तु-परन्तु हो सकता है कि हिंदी चिट्ठाकारिता का विकास अन्य भाषाओं की तुलना में धीमा रहा, लेकिन इसे लेकर किसी को संशय नहीं होना चाहिए कि हिंदी चिट्ठाकारी उर्जावान चिट्ठाकारों का एक ऐसा बड़ा समूह बनता जा रहा है जो किसी भी तरह की चुनौतियों पर पार पाने में सक्षम है और उसने अपने को हर मोर्चे पर सिद्ध भी किया है । वस्तुत: विगत वर्ष की एक बड़ी उपलब्धि और साथ ही आशा की किरण यह रही है कि चिट्ठों के माध्यम से वातावरण का निर्माण केवल वरिष्ठ चिट्ठाकारों ने ही नहीं किया है ,अपितु एक बड़ी संख्या नए और उर्जावान ब्लोगरों की भी आई है,जिनके सोचने का स्तर परिपक्व है। वे सकारात्मक सोच रहे हैं,सकारात्मक लिख रहे हैं और सकारात्मक गतिविधियों में शामिल भी हो रहे हैं। पूरा पढ़ने व प्रतिक्रिया देने के लिए क्लिक कीजिए, यह आपका ही मामला है 

2 टिप्‍पणियां:

  1. हमने तो इसे कल ही पढ़ लिया था और अपनी टिप्पणी भी रवाना कर दी थी!

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