मुद्दों पर हिंदी ब्लॉगजगत की रणनीति और वर्ष की हलचलें

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  • रवीन्द्र प्रभात
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  • नि:संदेह भारत ने एक संप्रभुता संपन्न राष्ट्र के रूप में बड़ी-बड़ी उपलब्धियां प्राप्त की । आई टी सेक्टर में दुनिया में उसका डंका बजा । चिकित्सा,शिक्षा, वाहन, सड़क, रेल, कपड़ा, खेल, परमाणु शक्ति, अंतरिक्ष विज्ञान आदि क्षेत्रों में बड़े काम हुए । परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र का रुतवा भी हासिल हुआ । तेजी से यह देश आर्थिक महाशक्ति बनने को अग्रसर है । मगर राष्ट्र समग्र रूप से विकसित हो रहा है इस दृष्टि से विश्लेषण करें तो बहुत कुछ छूता हुआ भी मिलता है, विकास में असंतुलन दिखाई देता है एवं उसे देश के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचाने में सफलता नहीं मिली है । जिससे भावनात्मक एकता कमजोर हो रही है , जो किसी राष्ट्र को शक्ति संपन्न , समृद्धशाली,अक्षुण बनाए रखने के लिए जरूरी है । यह समस्या चिंता की लकीर बढाती है ।

    हमारे देश में इस वक्त दो अति-महत्वपूर्ण किंतु ज्वलंत मुद्दे हैं - पहला नक्सलवाद का विकृत चेहरा और दूसरा मंहगाई का खुला तांडव । जहां तक ब्लॉग पर प्रमुखता के साथ मुद्दों को प्रस्तुत करने की बात है, इस वर्ष प्रमुखता के साथ छ: मुद्दे छाये रहे हिंदी ब्लॉगजगत में । पहला बिभूती नारायण राय के बक्तव्य पर उत्पन्न विवाद, दूसरा नक्सली आतंक,तीसरा मंहगाई,चौथा अयोध्या मामले पर कोर्ट का फैसला,पांचवां कॉमनवेल्थ गेम में भ्रष्टाचार और छठा बराक ओबामा की भारत यात्रा ।इन्हीं छ: मुद्दों के ईर्द-गिर्द घूमता रहा हिंदी ब्लॉगजगत पूरे वर्ष भर ।

    कौन-कौन से मुद्दों पर हिंदी ब्लॉगजगत ने कैसी रणनीति बनायी, सार्वजनिक रूप से क्या कहा और भ्रष्टाचार आदि मुद्दों पर क्या प्रतिक्रिया रही हिंदी ब्लॉग जगत की, जानने के लिए चलिए चलते हैं परिकल्पना पर जहां आजकल वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण प्रकाशित किये जा रहे हैं -
    वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण (भाग-१ )

    वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण (भाग-२ )

    वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण (भाग-३ )

    वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण (भाग-४ )

    वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण (भाग-५ )

    वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण (भाग-६ )

    वार्षिक हिंदी ब्लॉग विश्लेषण (भाग-७ )

    3 टिप्‍पणियां:

    आपके आने के लिए धन्यवाद
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