आज के समय में ये गाठी पाने वाला खेल यदा कदा ही दिखता है। कुछ वर्षों पहले तक बच्चे गाठी, गुल्ली-डंडा, पतंगबाजी, पकड़मकपड़ाई, लोहा-लक्कड़, छुपन-छुपाई, भागमभाग मतलब चैन बनाकर पकड़ना आदि खेल खेला करते थे। पर इन सभी खेलों पर टीवी के कार्टून्स ज्यादा हावी हो गये हैं और बच्चे क्रिकेट के दीवाने ज्यादा होते जा रहे हैं।
आओ गाठी पाईये
Posted on by Ravinder Punj in
Labels:
रविंद्र पुंज
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
गाँव का बचपन याद दिला दिया आपने.. खलिहान में लुकाछिपी खेलते हुए धान के पुआल में छुपना और गंदा होकर घर लौटने पर माँ का डांटते हुए हाथ-पैर धोना...
जवाब देंहटाएं