हाँ जब मैं छोटी थी
माँ हर बात पर कहती थी
रिश्ते रिश्ते होते हैं
कोई दो दूनी चार के फार्मूले
नहीं हुआ करते|
ये तुम्हारे सवाल नहीं है
जिनके उत्तर अन्तिम पृष्ठ पर छपे हो
और तुम सवाल ना कर पाओ
तो झट उत्तर टीप लो|
हर रिश्ते की गरिमा और उसका वजूद
अपनी शिद्दत से महसूस कर पाते थे|
घर मेंशादी हो ,ताऊ-चाचा,बुआ
मामा,मौसी के यहाँ
भाई बहिन काजन्म हो|
हर बार हमारा जाना सुनिशिचित था|
और रिश्तों की गर्माहट से
और हरहराहट से जिंदादिल होते हम
एक और अवसर की प्रतीक्षा में
खाना -पीना सब भूल जाते|
अब नाते -रिश्तों का क्या
सब भौतिकता निगल गई
अब तय होते हैं रिश्ते
संबंधों से नहीं
खून से नहीं
केवल और केवल आपके
स्टेटस से,
स्वार्थ से ,
मतलब से
अब वाकई रिश्ते गणित हो गए
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shi khaa rishton ka yeh bdltaa rup he jise aapne jivnt alfaazon men chitrit kr diya he . mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंkaise rishto ko kar diya chinhit
जवाब देंहटाएंho gaye rishte bhi ab ganit...
good collection mr akela.....
आप तो ताऊ, चाचा, बुआ, मामा, मौसी के ही उदाहरण दे रहे हैं । अब तो देखने में ये आ रहा है कि सगे माँ-बाप तक तो सिर्फ आर्थिक वसूली के माध्यम और घर की जिम्मेदारी व औलाद को सम्हालने के काम की चीज भर रह गए हैं । हाँ माँ-बाप से ज्यादा आदरणीय वे सास-ससुर हो रहे हैं जिन्होंने हमारे लिये बीबी जैसी चीज की व्यवस्था की हो । आखिर स्वार्थ की पराकाष्टा के युग में ही तो हम रह रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंरिश्ते अब रिसने लगे हैं , क्या कहा जा सकता है ...सब कुछ गणित हो गया है ...जिसको जहाँ लाभ वहां रिश्ता ..शुक्रिया
जवाब देंहटाएंBahut sunder... Badalte samay me na jane aur kitna aur kya-kya badlega....? yani ki ganit ho jayega.... achhi lagi rachna
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा आज रिश्ते गणित ही हो गए है | किसी से रिश्ता जोड़ना हो या तोड़ना किसी से बढ़ाना पहले फायदों का गुना जोड़ घटा करने के बाद ही उसे जोड़े तोड़े और बढ़ाये जाते है |
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