अब रिश्ते भी गणित हो गए |

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  • हाँ जब मैं छोटी थी

    माँ हर बात पर कहती थी

    रिश्ते रिश्ते होते हैं

    कोई दो दूनी चार के फार्मूले

    नहीं हुआ करते|

    ये तुम्हारे सवाल नहीं है

    जिनके उत्तर अन्तिम पृष्ठ पर छपे हो

    और तुम सवाल ना कर पाओ

    तो झट उत्तर टीप लो|

    हर रिश्ते की गरिमा और उसका वजूद

    अपनी शिद्दत से महसूस कर पाते थे|

    घर मेंशादी हो ,ताऊ-चाचा,बुआ

    मामा,मौसी के यहाँ

    भाई बहिन काजन्म हो|

    हर बार हमारा जाना सुनिशिचित था|

    और रिश्तों की गर्माहट से

    और हरहराहट से जिंदादिल होते हम

    एक और अवसर की प्रतीक्षा में

    खाना -पीना सब भूल जाते|

    अब नाते -रिश्तों का क्या

    सब भौतिकता निगल गई

    अब तय होते हैं रिश्ते

    संबंधों से नहीं

    खून से नहीं

    केवल और केवल आपके

    स्टेटस से,

    स्वार्थ से ,

    मतलब से

    अब वाकई रिश्ते गणित हो गए

    6 टिप्‍पणियां:

    1. shi khaa rishton ka yeh bdltaa rup he jise aapne jivnt alfaazon men chitrit kr diya he . mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan

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    2. kaise rishto ko kar diya chinhit
      ho gaye rishte bhi ab ganit...
      good collection mr akela.....

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    3. आप तो ताऊ, चाचा, बुआ, मामा, मौसी के ही उदाहरण दे रहे हैं । अब तो देखने में ये आ रहा है कि सगे माँ-बाप तक तो सिर्फ आर्थिक वसूली के माध्यम और घर की जिम्मेदारी व औलाद को सम्हालने के काम की चीज भर रह गए हैं । हाँ माँ-बाप से ज्यादा आदरणीय वे सास-ससुर हो रहे हैं जिन्होंने हमारे लिये बीबी जैसी चीज की व्यवस्था की हो । आखिर स्वार्थ की पराकाष्टा के युग में ही तो हम रह रहे हैं ।

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    4. रिश्ते अब रिसने लगे हैं , क्या कहा जा सकता है ...सब कुछ गणित हो गया है ...जिसको जहाँ लाभ वहां रिश्ता ..शुक्रिया

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    5. Bahut sunder... Badalte samay me na jane aur kitna aur kya-kya badlega....? yani ki ganit ho jayega.... achhi lagi rachna

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    6. बिलकुल सही कहा आज रिश्ते गणित ही हो गए है | किसी से रिश्ता जोड़ना हो या तोड़ना किसी से बढ़ाना पहले फायदों का गुना जोड़ घटा करने के बाद ही उसे जोड़े तोड़े और बढ़ाये जाते है |

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