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जब किस्सा पढ़ रहा था तो सोच रहा था कि इस बार गोवा यात्रा की उपलब्धि में अवश्य ही हिन्दी ब्लॉगरों से अवश्य मुलाकात होगी। यह सोचकर जब इस्मत जी के प्रोफाइल पर पहुंचा तो वहां न तो ई मेल पता मिला और न कोई फोन नंबर ही। तुरंत रश्मि जी की पोस्ट पर कमेंट में लिख डाला अपना गोवा का नंबर, उनसे संपर्क करने का आग्रह करते हुए अपना गोवा का नंबर टिप्पणी बॉक्स में लिख दिया।
फिर इस्मत जी के ब्लॉग पर ईद संबंधी पोस्ट में पहुंचकर मुबारकबाद देते हुए अपना नंबर छोड़ दिया और अगले ही दिन सुबह 9 बजे इस्मत जैदी जी से फोन पर बात हो गई। मालूम हुआ कि वे एक वर्ष से ब्लॉग लिख रही हैं और कभी-कभी ब्लॉग पोस्टों पर मेरी टिप्पणियों से मिलती रही हैं। तय हुआ कि जल्दी ही किसी दिन मुलाकात होगी। उनका आवास मीरामार समुद्र तट के आसपास ही है, दूरी अधिक नहीं है।
दो-तीन दिन यूं कार्यालय व्यस्तता में ही बीत गए हैं। आज जब एकाएक फोन आया तो सोचा कि आज ही मिल लेते हैं। तुरंत ही उनसे फोन पर पता लिया और लगभग आधे-पौने घंटे में मैं उनके घर पर मौजूद था। रास्ता वैसे तो 10 से 15 मिनट की दूरी का है परंतु पूछकर पहुंचने में समय तो लगता ही है। पूछ कर भी जब कामयाबी नहीं मिली तो उन्होंने अपने बेटे मुशीर को एक तय प्वाइंट पर साईकिल पर मुझे लेने भेज दिया और भटकन समाप्त हुई। बेटी के बारे में भी कुछ बतलाया है पर मुझे याद नहीं रहा है। बातें तो खूब हुई हैं पर जो याद रह पाई हैं, लिख दी हैं जो भूल गया हूं, उन्हें इस्मत जैदी जी अवश्य लिखेंगी। ऐसा मेरा विश्वास है और आग्रह भी है।
मैं पांचवीं मंजिल पर इस्मत जैदी जी के निवास पर पहुंच गया। आपस में नमस्कार के बाद पाया कि सहजता और सौम्यता की प्रतिमूर्ति हैं इस्मत जी। मैंने पूछा गोवा में कब से हैं, तो बतलाया कि नौ साल से। पति की ट्रांसफर पर आना हुआ था। लिखना कब शुरू किया, वे बतला रही हैं कि दो वर्ष पहले। एक परिजन के निधन पर एक शेर लिखा गया और उसके बाद से लेखन का सिलसिला चल निकला है। ब्लॉग जगत में प्रवेश के बारे में बतलाती हैं कि कंप्यूटर से कोई परिचय नहीं था । वंदना जी बचपन की मित्र हैं, वे पीछे पड़ी रहीं और फिर ब्लॉग खुद ही बनाकर दे दिया कि अब इसे चलाओ और तब से चला रही हूं।
कंप्यूटर भी सीख लिया है। बारहा में टाइप करती हूं। पर कहीं कहीं कठिनाई होती है। मैंने उन्हें हिन्दी टूल किट की जानकारी दी और कहा कि इसका लिंक उनकी ई मेल पर भेज दूंगा। पर अभी तक उनका ई मेल पता मेरे पास नहीं पहुंचा है। अपना ई मेल पता उनके पास छोड़ दिया है। उनकी मेल आते ही नुक्कड़ की यह पोस्ट उनको प्रेषित कर दूंगा, जिसके माध्यम से बहुत सारे हिन्दी ब्लॉगर हिन्दी में सहज रूप से लिख पा रहे हैं।
वंदना जी का नंबर मिलाता हूं पर बिजी बतला रहा है। खैर ... कार्यालय पहुंचकर मिलाया, मिल गया है और वे थोड़ी सी कोशिश के बाद बतला देती हैं कि अविनाश जी बोल रहे हैं। मैं स्वीकार लेता हूं। वे विजयी हुई हैं पर असलियत में यह विजय हिन्दी की है, हिन्दी ब्लॉग जगत की है।
खूब सारी बातें हुईं। घर परिवार की। लगभग एक घंटा कब बीत गया मालूम ही नहीं चला। इस बीच उन्होंने शीतल पेय भी पिला दिया है और ईद के अवसर पर मीठी सेंवई दो प्रकार की, सूखे मेवे जिनमें काजू, किशमिश, बादाम इत्यादि और नमकीन भी। मैंने बतलाया कि डायबिटीज से ग्रसित हूं परंतु सेंवई खाऊंगा अवश्य और अधिक नहीं परंतु खाता हूं और सेंवईयों की मिठास मन में रच गई है। अभी अभी यह पोस्ट पढ़ी है सरसरी तौर पर, जीवन की मिठास यही है।
वर्धा सम्मेलन,आचार संहिता, ब्लॉगर विवाद, बदनाम होंगे तो क्या नाम न होगा की प्रवृत्ति, सतीश सक्सेना, अनूप शुक्ल, चिट्ठा चर्चा, ब्लॉगवाणी के संबंध में भी काफी उपयोगी चर्चा हुई। डॉ. सुभाष राय के ब्लॉग बात बेबात और साखी का जिक्र और सुभाष जी के आगरा के निवास पर चोरी के संबंध में भी तथा उनके महाव्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर काफी दिनों से कुछ न लिखे जाने के संबंध में भी।
वे चाय या काफी का आग्रह कर रही हैं। इच्छा तो मेरी भी है परंतु थोड़ी ना-नुकर करता हूं। फिर मान जाता हूं। चाय पिऊंगा लेकिन बेचीनी की, वे पूछती हैं कि शुगर फ्री। मैं मना कर देता हूं। चाय के फीकेपन में भी मन को अच्छे लगने वाले मीठेपन का अहसास होता है अब इसलिए। इसी बीच उन्हें याद आता है कि वाहन से आया हूं, उसका ड्राइवर भी तो होगा नीचे और वे सेंवई और शीतल पेय उसके लिए अपने बेटे मुशीर के हाथों भिजवाती हैं।
वे चाय या काफी का आग्रह कर रही हैं। इच्छा तो मेरी भी है परंतु थोड़ी ना-नुकर करता हूं। फिर मान जाता हूं। चाय पिऊंगा लेकिन बेचीनी की, वे पूछती हैं कि शुगर फ्री। मैं मना कर देता हूं। चाय के फीकेपन में भी मन को अच्छे लगने वाले मीठेपन का अहसास होता है अब इसलिए। इसी बीच उन्हें याद आता है कि वाहन से आया हूं, उसका ड्राइवर भी तो होगा नीचे और वे सेंवई और शीतल पेय उसके लिए अपने बेटे मुशीर के हाथों भिजवाती हैं।
चाय पीता हूं। अब चलना चाहता हूं। आफिस से निकले काफी समय हो गया है। वे इजाजत दे देती हैं। पर कल रविवार के दिन मिलने का तय किया है। फोन करके मिलेंगी, उनके पतिदेव की छुट्टी है, उनसे भी मिलना चाहता हूं। इस्मत जी ने बतलाया है कि उनके लेखन में उनके पतिदेव का प्रोत्साहन है। वे न प्रोत्साहित करते तो वे न लिख पा रही होतीं। हिन्दी ब्लॉग जगत उनके पतिदेव का भी आभारी है और वंदना अवस्थी दुबे का तो है ही। जिन्होंने ब्लॉग बनाकर दे दिया और वे इसे गति दे रही हैं। इस गति की प्रगति में अब आप भी साझीदार बन रहे हैं। जो लिंक दिए हैं, उन्हें खोलकर भी पढिएगा। मैं जानता हूं कि मेरे से पहले मेरे बहुत से ब्लॉगर लेखक-पाठक उनसे परिचित हैं।
चर्चा होती है कि गोवा में और कोई हिन्दी ब्लॉगर नहीं है। मैं बतलाता हूं कि ऐसी बात नहीं है, दो वर्ष पहले ममता श्रीवास्तव जी से मुलाकात हुई थी, ऐसे ही अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह के अवसर पर। जिनका ब्लॉग ममता टीवी के नाम से प्रख्यात है। पर वे अपरिचित हैं। अब वे अरूणांचल जा चुकी हैं। मेरी खोज जारी है, ऐसा नहीं हो सकता, मेरा मन नहीं मानता कि गोवा में और हिन्दी ब्लॉग न हों। जरूर होंगे बस मैं अभी उन तक नहीं पहुंच सका हूं। परंतु मेरी खोज जारी है कोलम्बस की तरह। अभी जो मिला है, वो तो शुरूआत है, अभी अवश्य ही कुछ और हिन्दी ब्लॉगरों से अवश्य मुलाकात का विश्वास है। 4 दिसम्बर 2010 को गोवा से वापसी है। आप मेरी मदद कीजिए कुछ और हिन्दी ब्लॉगरों को गोवा से ढूंढ निकालने में, जिससे एक और हिन्दी ब्लॉगर मिलन गोवा की धरती पर संपन्न हो सके। आमीन।
रोहतक में राज भाटिया जी और अन्तरसोहिल जी द्वारा आयोजित होने वाले इंटरनेशनल हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन की सफलता के लिए नुक्कड़ परिवार की ढेरों शुभकामनाएं।
अविनाश जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
इस्मत जी से आपकी भेंट की रपट के लिए आभार ! लगा मैं भी थोड़ा बहुत मिल लिया …
वैसे मैं उनके छोटे भाई की तरह उनका स्नेहपात्र हूं , यह मेरा सौभाग्य है ।
अच्छी पोस्ट के लिए बधाई और आभार …
राजेन्द्र स्वर्णकार
अरे, मैं तो समझ रहा था कि इस्मत जी इलाहाबाद में कहीं होंगी और ये निकलीं गोवा में। अब मुझे भी गोवा जाना पड़ेगा इनसे मिलने। अभी पिछले दिनों ही इनकी रचनाएँ कविता कोश में शामिल की हैं। सोच रहा था कि इस बार इलाहाबाद जाऊँगा तो इनसे भी मिलूँगा। अब अविनाश जी की तरह गोवा जाना पड़ेगा। अविनाश जी! खोज आपकी, फ़ायदा मुझे हुआ।
जवाब देंहटाएंजनविजय जी और मुझे इलाहाबाद पड़ेगा जिससे मेरी रचनाएं भी कविता कोश में शामिल हो सकें। मतलब आप सिर्फ इलाहाबाद वालों की रचनाएं ही कविता कोश में शामिल करते हैं।
जवाब देंहटाएंप्रिंट मीडिया में वर्धा सेमिनार चर्चा : पाखी में प्रतिभा कुशवाहा ने लिखा : क्या आपने नहीं पढ़ा, वर्धा लाइव ...
खोज जारी रखिये , सफलता जरुर मिलेगी.
जवाब देंहटाएंइस्मत जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। और आप तो कोलंबस हो लिये :)
जवाब देंहटाएंApka prayas sarahniya hai.PLz. visit my post.
जवाब देंहटाएंइस्मत जी से मिलकर बहुत अच्छा लगा
जवाब देंहटाएंaapkaa aabhaar ismatji se milakar accha lagaa.
जवाब देंहटाएंबधाई ।
जवाब देंहटाएंअहा हिन्दी भाषी कहां कहां नहीं हैं
जवाब देंहटाएंअरे वाह!!! यहां तो इस्मत के साथ-साथ मैं भी मौजूद हूं!! अच्छी लगी मुलाकात.
जवाब देंहटाएंअपने लेखन के माध्यम से इस्मत साहिबा ने बहुत अच्छी पहचान बनाई है...
जवाब देंहटाएंवंदना जी के बाद आपने भी उनके व्यक्तित्व और मिलनसार प्रवृति से परिचित कराया...शुक्रिया.
खोजी ब्लॉगिंग की शुरुआत के लिए बधाई।
जवाब देंहटाएंअविनाश जी ,नमस्कार,
जवाब देंहटाएंआप ने तो इस पोस्ट में इतना कुछ लिख कर इसे मुकम्मल कर दिया है कि अब मेरे लिखने के लिए शब्द ही नहीं हैं मेरे पास ,
सभी ब्लॉगर्स से बस इतना कह सकती हूं कि आप से मिलना ,बात चीत करना व्यक्ति को बहुत कुछ सिखाता है ,मेरे लिये तो अपने आप में ये एक सुखद अनुभव है जब ये महसूस हो कि हम किसी साहित्यकार से मिल रहे हैं और साहित्यकार ख़ुद मिलने आए तो ये मेरे लिये बहुत ख़ुशी का अवसर था,
ऐसी ख़ुशी देने के लिये और बहुत कुछ सिखाने के लिये आप का कोटिश: धन्यवाद
चाचा जी, बहुत बढ़िया रिपोर्ट भारत के कोने कोने में ब्लॉगिंग परचम लहरा रहा है और आप ब्लॉगिंग को शिखर पर ले जाने के लिए प्रयत्न शील है...सार्थक प्रयास..गोवा ब्लॉगिंग समारोह का रिपोर्ट बढ़िया लगा...
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurti ke sath itni jankariyan di hai aapne. padhkar achcha laga.
जवाब देंहटाएंजय हो...........
जवाब देंहटाएंबाँच कर अच्छा लगा
आप इसी तरह सक्रिय रहें सदा सदा सर्वदा..........
बहुत खूब अविनाश भाई ,आपको मैं ब्लॉगिंग नेटवर्क ऐसे ही थोडे कहता हूं
जवाब देंहटाएंप्रिय भाई अविनाश जी,
जवाब देंहटाएंआपकी कोलम्बसीयता फलप्रद सिद्ध होगी!
बड़ी सुन्दरता से आपने इस्मत जैदी जी के अतिथि-सत्कार वाला वर्णन किया है।
इस्मत जी से मिलना अच्छा लगा ...
जवाब देंहटाएंअच्छी मुलाकात का अच्छा वर्णन ...!
वाह अविनाश जी बहुत सुन्दर यात्रा रही
जवाब देंहटाएंइस्मत जैदी जी से मुलाकात कराने का आभार
कभी हम भी मिलते हैं गोवा में।