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  • प्रमोद ताम्बट
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  • दैनिक नईदुनिया की रविवारीय मैगज़िन में मेरा - व्यंग्य नकारा है वह प्रजातंत्र जो पगार तक नहीं बढ़ाने दे। आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
    प्रमोद ताम्बट
    भोपाल

    व्यंग्य और व्यंग्यलोक
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    5 टिप्‍पणियां:

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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