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व्यंग्य
दैनिक नईदुनिया की रविवारीय मैगज़िन में मेरा - व्यंग्य नकारा है वह प्रजातंत्र जो पगार तक नहीं बढ़ाने दे। आपकी प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित है।
प्रमोद ताम्बट
भोपाल
व्यंग्य और व्यंग्यलोक
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बहुत-बुहत बधाई!
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माँ सब जग की मनोकामना पूर्ण करें!
जय माता दी!
नवरात्रो की आपको भी शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंमन-मेल के लिए पहले मन का मैल निकलना जरूरी है। यहाँ पढ़ें
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना . बधाई
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय ।
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