मन में बसी बुराईयों के रावण को जलायें

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  • अविनाश वाचस्पति
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  • मन में बसी हैं बुराईयां
    उन्‍हें वहीं छोड़ आयें
    जब रावण जलाने जायें

    दशहरे की दूं शुभकामना
    मन में विजय की भावना
    विजयादशमी मनायें

    मन में बसी बुराईयों को
    पटाखों की जगह जलायें
    जब रावण जलाने जायें

    पोस्‍ट चाहें कितनी लगायें
    संदेश मोबाइल से भिजवायें
    फोन पर बातें बनायें

    जब तक मन नहीं करेंगे साफ
    बुराईयों का नहीं घटेगा ग्राफ
    पोस्‍ट चाहे न लगायें


    बुराईयों के रावण को
    सिर्फ एक टिप्‍पणी से
    कैसे अं‍तिम जगह पहुंचायें

    6 टिप्‍पणियां:

    1. अविनाश वाचस्‍पति जी
      नमस्कार !
      विजयदशमी की मंगलकामनाएं ! शुभकामनाएं !
      अच्छी रचना लिखी है , बधाई !
      आपको और नुक्कड़ के सभी मित्रों को समर्पित है मेरा यह दोहा …
      थोथे पुतले फूंक कर करें न झूठा दम्भ !
      जीवित रावण फूंकना आज करें आरम्भ !!


      - राजेन्द्र स्वर्णकार

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    2. पुतला फूँकत जग मुआ
      रावण मरा ना कोय
      जो फूँके निज अहंकार
      रावण क्यूँ पैदा होय।

      प्रमोद ताम्बट
      भोपाल
      www.vyangya.blog.co.in
      http://vyangyalok.blogspot.com
      व्यंग्य और व्यंग्यलोक
      On Facebook

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    3. विजय-दशमी पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं

      सादर

      समीर लाल

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    4. विजयादशमी की बहुत बहुत बधाई

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    5. कोशिश तो बहुत की । पर कामयाबी मिलनी अभी बाकी है ।

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    6. सभी ब्लोगर्स को विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं |

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
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