लघु कथा

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  • नमिता राकेश
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  • हिंदी के बहाने से
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    सितम्बर का महीना शुरू हो चुका था और हिंदी पखवाड़े का भी ! अक्सर हिंदी पखवाड़े और श्राद्ध की तिथियाँ आस पास ही पड़ती है और हम अपने पितरो को पूजने के साथ साथ हिंदी को भी पूज लेते है ! यूँ भी कह सकते है कि दोनों का श्राद्ध एक साथ कर लेते है!
    हाँ , तो बात हिंदी पखवाड़े मौसम की हो रही थी ! जगह-जगह सम्मान - सम्मारोह, भाषण और कवी सम्मेलनों का आयोगन किया जा रहा था ! ऐसे ही एक बड़े समारोह में बड़े बड़े हिंदी के समर्थकों से मंच सुशोभित था ! एक एक करके विभूतियाँ हिंदी क़ी आन - बान और शान में कसीदे गढ़ रही थी , साथ ही अपने भी कि उन्होंने भारत और विदेशों में हिंदी के कितने परचम लहराए ........ वो दिन दूर नहीं जब हिंदी विश्व क़ी भाषा बनेगी ! तभी मिस सेलीना के नाम क़ी उद्घोषणा हुई !
    मिस सेलीना आयीं और उन्होने अत्यंत भाव-विभोर ढंग से एकाग्रचित होकर , ऑंखें मूँद कर गायित्री मंत्र का पाठ हिंदी में स-स्वर पढ़ा ! पूरा हाल तालियों से गूंज उठा !
    संचालक ने जन समूह को बताया कि मिस सेलिना विदेशी महिला होने के बावजूद हिंदी के प्रचार प्रसार में लगी हुई हैं ! उनकी सेवाओं को देखते हुए आज इस मंच से उन्हें सम्मानित किया जाता है !
    मंच पर विराजमानt उन हिंदी समर्थक विभूतियों ने एक एक करके मिस सेलिना को प्रतीक-चिन्ह , शाल और पुष्प गुच्छ भेट किये और हर एक के मुह से निकला - "वेल डन" , "कीप इट अप " , "यू आर ग्रेट मैडम" ---- और हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए सम्मानित होती वो मिस सेलीना गद गद होकर बोलीं - " थैंक्यू सर , आई ऍम ओब्लाइज्द"
    द्वारा- नमिता राकेश

    8 टिप्‍पणियां:

    1. ये सब अब शहरी भाषा में आए दिन प्रयोग होने वाले शब्द हैं, इन्हें हिन्दी की शान में कोताही नहीं माना जाना चाहिये. अंग्रेज़ी ने बहुत से भारतीय शब्दों को अपना लिया है हिन्दी को भी परहेज़ नहीं होना चाहिये. 'बोलचाल की हिन्दी' और 'राजभाषा आयोजनों की हिन्दी' में जब तक ये अंतर बनाया रखा जाएगा,किताबी हिन्दी को जन सामान्य की भाषा नहीं बनाया जा सकेगा. लचीली दूब बाढ़ के बाद भी लहलहाती है, ढूंढ बह जाते हैं... आओ अपनी हिन्दी को दूब बनाएं न कि ढूंढ (माफ़ करना मेरी टिप्पणी आपकी लघुकथा से भी लंबी हुई जा रही है)...

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    2. जी हाँ यही सिलसिला आजादी के बाद से निरंतर चल रहा है!

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    3. hindi ki hatya sabse pahle angrezon ne ki aur dah sanskar hamari sarkaron ne.apne sarkari hindi dekhi hai....mulahiza ho....samvedak ki aharta parpristh ki tippaniyon me ullikhit hai,awloknarth upasthapit........baap re is hindi se to angrezi bhali..iska anuvad dekhiye ........the criteria for selection of contractors is listed on previous page.kindly peruse ab aisi hindi ko lekar chatenge

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    4. हम अपने पर ही व्यंग्य कर लेते हैं और हँस भी लेते हैं लेकिन बस नहीं आती तो हमें शर्म नहीं आती. क्योंकि वह भी हमें अंग्रेजी में ही आती हैं न तो हिंदी वाले उसको समझ नहीं पाते हैं. ये बात बिल्कुल सही है कि हम साल में एक बार अपनी राष्ट्र भाषा के प्रति अपनी श्रृद्धांजलि अर्पित कर देते हैं और फिर साल भर के लिएदायित्व से मुक्त.

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    5. जी हाँ, हिंदी वही है जो हम आप आपस में बोलते हैं! राजभाषा का मतलब दुरूह, क्लिष्ट,कठिन, या अलंकृत शब्दों का प्रयोग करना नहीं है!लेकिन कुछ लोग हिंदी को मज़ाक का विषय बना देते हैं! कुछ तो छांट छांट कर अंग्रेजी शब्दों के क्लिष्ट हिंदी रूपांतर इकठ्ठा कर के ,जोड़ कर कविता बना कर मंचों पर प्रस्तुत करते हैं और फिर इन्ही क्लिष्ट शब्दों की कमाई खाते हैं!हिंदी का दिल बहुत बड़ा है!इसमें तद्भव -तत्सम शब्दों का भंडार है तो अंग्रेजी से परहेज़ कैसा ! लेकिन जब हमारे पास अपनी भाषा में आसान और सरल रूपांतर मौजूद हैं तो वहां कम से कम अंग्रेजी शब्दों से बचना चाहिय !इस लघु कथा में यदि मंचासीन विभूतियाँ अंग्रेजी शब्दों के स्थान पर 'बहुत खूब ', 'वाह', 'शाब्बास', ' आप महान हैं ' जैसे शब्दों का प्रयोग करतीं तो क्या सेलिना नहीं समझती ? जबकि वह हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए ही सम्मानित की जा रही थी ? हमारी मानसिकता है कि हम अंग्रेजों को देखते ही अंग्रेजी बोलने लगते है !

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