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  • Vivek Sharma
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  • हे भारत माँ शत-शत बार प्रणाम
    ऐ अमरों की जननी, तुमको शत-शत बार प्रणाम,
    भारत माँ  शत-शत बार प्रणाम।
    तेरे उर में शायित गांधी, 'बुद्ध औ' राम,
    भारत माँ शत-शत बार प्रणाम।
    हिमगिरि-सा उन्नत तव मस्तक,
    तेरे चरण चूमता सागर,
    श्वासों में हैं वेद-ऋचाएँ
    वाणी में है गीता का स्वर।
    ऐ संसृति की आदि तपस्विनि, तेजस्विनि अभिराम।
    भारत माँ शत-शत बार प्रणाम।
    हरे-भरे हैं खेत सुहाने,
    फल-फूलों से युत वन-उपवन,
    तेरे अंदर भरा हुआ है
    खनिजों का कितना व्यापक धन।
    मुक्त-हस्त तू बाँट रही है सुख-संपत्ति, धन-धाम।
    भारत माँ शत-शत बार प्रणाम।
    प्रेम-दया का इष्ट लिए तू,
    सत्य-अहिंसा तेरा संयम,
    नयी चेतना, नयी स्फूर्ति-युत
    तुझमें चिर विकास का है क्रम।
    चिर नवीन तू, ज़रा-मरण से -
    मुक्त, सबल उद्दाम, भारत माँ शत-शत बार प्रणाम।
    एक हाथ में न्याय-पताका,
    ज्ञान-द्वीप दूसरे हाथ में,
    जग का रूप बदल दे हे माँ,
    कोटि-कोटि हम आज साथ में।
    गूँज उठे जय-हिंद नाद से -
    सकल नगर औ' ग्राम, भारत माँ शत-शत बार प्रणाम।

    2 टिप्‍पणियां:

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