सो गुरु को प्रणाम कर ....उनकी ही भाषा में यह प्रतिक्रिया लिखदी और प्रकाशित कर रहा हूँ ताकि सनद रहे आज के गुरु और उनके शिष्यों का परिचय !
पत्र में आप नहीं ?
आप होंगे कि नहीं?
दोस्त का नाम नहीं
तो फिर हम भी नहीं
हम तो होंगे ही वहां
अविनाश होंगे जहाँ
अगर अविनाश नहीं
हमारा भी काम नहीं
खुद वहां जाओ नहीं
चेलों को भेज देते
नाम अपना कमाओ
मूर्ख हम ऐसे नहीं !
आशा है समझ लोगे
आज के चेलों को भी
एकलव्य लगते हैं ,
अंगूठा देंगे नहीं !
सतीश भाई मैं पहुंच रहा हूं और आपका इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रतिक्रिया रही
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