गाली भी सुनेगा और साहब भी बोलेगा यह जमाना अब नहीं चलेगा

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  • प्रशांत भगत
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  • विभूति नारायण राय कोई इकलौते पुलिस वाले तो है नहीं, जिन्होंने महिलाओं को छिनाल कहा हो / हिंदी भाषी क्षेत्र के किसी भी थाने में आप चले जाइए, थानेदार , मुंशी, हवलदार या फिर सिपाही दिन में कई बार कई महिलाओं को उनके सामने ना जाने कितनी तरह की गालियाँ देते है और उनकी शिकायत सुने बगैर थाने से गाली कर्देज भगा देते है / ये महिला बिरादरी या साहित्यकारों की बिरादरी को इस बात में गुस्सा नहीं आता है कि, थाने में महिलाओं को जाते हुए डर लगता है, क्योंकि पुलिस वाले महिलाओं के साथ बुरा सुलूक करते है, गाली देते है और मौक़ा देख कर छेडते है, थाने में बलात्कार की भी कई घटनाएं हुई है / लेकिन इन पढ़े लिखे बुद्धिजीवी लोगों को इससे फरक नहीं पडता है और ना ही वे इस पर कोई सार्वजनिक चर्चा करते है / चूंकि विभूति नारायण राय जो कि एक सेवानिवृत्ति पुलिस वाले है, और वर्धा विश्वविद्दालय के कुलपति है ने बुद्धिजीवी महिलाओं को छिनाल कह दिया तो कोहराम मच गया अखबार, मैग्जीन, इन्टरनेट और रेडियो सब के सब एक सुर से इस प्रकरण में चर्चा में जुट गए / चर्चा का पटाछेप हुआ विभूति नारायण के सार्वजनिक रूप से माफी मागने के बाद / पुलिस महकमा और हिंदी भाषी राज्यों के गृह विभाग कब अपने पुलिस वालो के द्वारा गरियाई गयी, छेड़ी गयी या प्रताडित की गयी महिलाओं से माफी मागेंगे / मुझे इन्तेज़ार रहेगा उस दिन का, हालांकि उम्मीद कम है, क्योंकि वे महिलाए जिन्हें पुलिस वाले गाली देने के पहले एक बार भी नहीं सोचते कि उनके खुद के घर में भी कुछ या एकाध महिला तो होंगी ही / गाली देना, डाट कर बात करना या फिर बात - बात पर घुडकी देना झापड़ मारना तो जैसे पुलिस वाले का कर्तव्य है/ मैं स्वयं देखा या सूना तो नहीं है लेकिन दूसरों से सूना है कि, जब पुलिस वालो को प्रशिक्षण दिया जाता है तो उन्हें गाली देना भी सिखाया जाता है / हमारे समाज में गाली देना और मारना पीटना नैतिक और कानूनी रूप से गलत माना जाता है / फिर पुलिस वालों को अनैतिकता का पाठ क्यों पढाया जाता है ? गाली देना मारना पीटना क्यों सिखाया जाता है, क्यों नहीं उन्हें मनोविज्ञान, समाजविज्ञान और अपराधशास्त्र का पाठ पढाया जाता है जिससे वे सही मायने में जन सेवा कर सके जिसके लिए पुलिस विभाग होना चाहिए / सभ्य पुलिस वाले होगे तो पूरे देश कि महिलायों को किसी पुलिसवाले से कभी कोई शिकायत नहीं होगी / थाने में जाते हुए किसी कलावती या फूलकली को डर नहीं लगेगा कि, दरोगा बाबु शिकायत सुनने के पहले भी गाली देंगे और सुनने के बाद भी / जिन लोगों ने विभूति नारायण के छिनाल कहने के बाद महिलाओं के बारे में सोचा, कुछ लिखा या कुछ पढ़ा कृपया भारत की सभी महिलाओं के बारे में भी कुछ लिखो, एक विभूति के माफी मागने से महिलाओं की जीत नहीं हो सकती सभी पुलिसवालों को माफी मागनी चाहिए देश की सभी महिलाओं से / पुलिसवालों के प्रशिक्षण के तरीकों में जरूरी बदलाव किये जाए जिससे एक अच्छी पुलिस व्ववस्था बन सके / पुलिस थाना भय का केंद्र नहीं होना चाहिए, भय का केंद्र होगा तो कभी कोई थाने में जाने से घबराएगा और जाएगा भी तो सच नहीं बोल पायेगा / बोलेगा वही जो पुलिस चाहेगी, गाली भी सुनेगा और साहब भी बोलेगा यह जमाना अब नहीं चलेगा /

    2 टिप्‍पणियां:

    1. अरे आज कल जो टी वी पर गाली गलोच होता है, क्या वो बुरा नही?शायद नही क्योकि आधे से ज्यादा तो अग्रेजी मै गाली देते है ना इस लिये......हिन्दी मै गाली गाली लगती है, अग्रेजी मै ......

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    2. बहुत अच्छा आलेख धन्यवाद-----अशोक बजाज "ग्राम चौपाल"

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    आपके आने के लिए धन्यवाद
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