ब्लागवाणी का बंद होना, मानो सभी सम्पर्को पर ताले लग जाने जैसा है। जब तक कुछ ताजा पढ़ा-लिखी ना कर ले तब तक खाना भी हजम नही होता। ऐसा बहुतों का हाल है। ब्लागवाणी का बंद होना अब अखरने की हद तक आ पहुंचा है। इतना ही नही इसकी सुगबुगाहटे अब सुर्खियों का हिस्सा भी बनने लगी है। प्रस्तुत है, प्रख्यात पत्रकार मनविदंर भिम्बर जी दैनिक हिन्दुस्तान में प्रकाशित फीचर कथा, जो बता रही है आखिर क्या वजह रही है ब्लागवाणी के बंद होने की।
आप रेल जानते हैं तो प्लेटफार्म भी जानते ही होंगे और जानते होंगे रेलवे स्टेशन भी। मेरा मानना है कि ब्लॉगवाणी एक रेलवे स्टेशन की तरह से थी, जिस तरह रेलें, रेलवे स्टेशन पर होकर और रूक कर गुजरती हैं, उसी प्रकार हिन्दी ब्लॉग पोस्टें ब्लॉगवाणी रूपी रेलवे स्टेशन से होकर गुजरती रही हैं। अब रेल यानी ब्लॉग को पढ़ने के लिए रेलवे स्टेशन नहीं है तो इधर उधर कहां खंगालें। एग्रीगेटर की जरूरत है और हाल-फिलहाल तो है और बनी भी रहेगी।
फीचर पढ़वाने के लिए आभार
जवाब देंहटाएंआप रेल जानते हैं तो प्लेटफार्म भी जानते ही होंगे और जानते होंगे रेलवे स्टेशन भी। मेरा मानना है कि ब्लॉगवाणी एक रेलवे स्टेशन की तरह से थी, जिस तरह रेलें, रेलवे स्टेशन पर होकर और रूक कर गुजरती हैं, उसी प्रकार हिन्दी ब्लॉग पोस्टें ब्लॉगवाणी रूपी रेलवे स्टेशन से होकर गुजरती रही हैं। अब रेल यानी ब्लॉग को पढ़ने के लिए रेलवे स्टेशन नहीं है तो इधर उधर कहां खंगालें। एग्रीगेटर की जरूरत है और हाल-फिलहाल तो है और बनी भी रहेगी।
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