(सुनील)
बर्दाश्त से बाहर होती जा रही महंगाई न जाने आने वाले दिनों में किस मुकाम तक पहुंचेगी। हालांकि इसे मुकाम तक पहुंचाने वाले प्रतिदिन कुछ ऐसे बयानों से रूबरू कराते हैं, जिसे सुनकर जनता केवल 'उफ महंगाई, हाय-हाय मंहगाई' करके रह जाती है और इस महंगाई का विरोध करने वाले सब कुछ बंद की तैयारी में जुट जाते हैं। एक महंगाई को सफल बनाने में लगा हुआ है तो दूसरा बंद को सफल बनाने में।
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जनता लाचार, विरोधी बीमार, सरकार बेकार
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