श्रेष्ठता का प्रमाण: लोकसंघर्ष परिकल्पना सम्मान

Posted on
  • by
  • रवीन्द्र प्रभात
  • in
  • Labels:

  • कहा गया है कि प्रेम में जीव अभय हो जाता है , वहां तो सिर्फ समर्पण ही रह जाता है ! प्रेम सर्वस्व न्योछावर करके गदगद हो जाता है ! अहंकार सबकुछ पाकर भी खुश नहीं होता है ! प्रेम दूसरों की छाया बनकर अपने को धन्य मानता है, अहंकार दूसरो की छाया छीनकर भी उदास बना रहता है ....प्रेम जब कुछ बाँट नहीं पाता तब दुखी होता है !

    ऐसे दो गीतकार हैं हमारे चिट्ठाजगत में जिनका एक मात्र उद्देश्य है प्रेम बांटना ....उनके गीतों में प्रेम की कोमलता होती है और छंद श्रृंगार से सराबोर ! इनके गीत ह्रदय की धड़कन और साँसों के आरोह-अवरोह के वे सरगम होते हैं जिसमें डूबकर पाठक सत्य -शिव और सुन्दर की तलाश हेतु आतुर हो जाता है !
    इन दोनों सुमधुर गीतकारों को ब्लोगोत्सव की टीम ने वर्ष के श्रेष्ठ उत्सवी गीतकार का अलंकरण देते हुए सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

    विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ किलिक करें
    १० मई २०१० को हिंदी के प्रतिष्ठित समाचार पत्र जनसत्ता के नियमित स्तंभ में एक आलेख ब्लोगोत्सव-२०१० से साभार प्रकाशित किया गया था , शीर्षक था " भविष्य का यथार्थ"
    यह अपने आप में एक प्रमाण है पोस्ट की श्रेष्ठता का , इस आलेख में भविष्य से संबंधित उन पहलूओं पर प्रकाश डाला गया है जो पूर्णत: प्रमाणिक और सत्यता से परिपूर्ण है !
    ब्लोगोत्सव की टीम ने इस पोस्ट को वर्ष का श्रेष्ठ विज्ञान पोस्ट का अलंकरण देते हुए इसके लेखक को सम्मानित करने का निर्णय लिया है !

    विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ किलिक करें

    साथ ही ब्लोगोत्सव-२०१० पर आज-
    आप शुभकामनाएं देना चाहते हैं तो उसी पोस्ट के लिंक पर क्लिक करके परिकल्‍पना ब्‍लॉगोत्सव 2010 की संबंधित पोस्ट पर ही देंगे तो पाने वाले और देने वाले - दोनों को भला लगेगा। यह भलापन कायम रहे।

    1 टिप्पणी:

    आपके आने के लिए धन्यवाद
    लिखें सदा बेबाकी से है फरियाद

     
    Copyright (c) 2009-2012. नुक्कड़ All Rights Reserved | Managed by: Shah Nawaz